पहले सीनियर्स ने उसे पीटा, फिर स्कूल वालों ने बिना बताये उसकी बॉडी दफ़ना दी, देहरादून में हुई इस घटना की ख़बर आपने कुछ दिनों पहले पढ़ी होगी. अगर नहीं पढ़ी तो अब पढ़ लीजिये. देहरादून के स्कूल में हुई 12 साल के बच्चे की मौत कैसे हुई, किसने उसको मारा, स्कूल की इसमें क्या भूमिका रही सब कुछ डिटेल में अब सामने आया है.

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ThePrint की डिटेल्ड स्टोरी के अनुसार, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया कि 12 साल के नाबालिग छात्र को दो सीनियर्स ने उसके हाथ और पैर को पाइप से बांधकर पहले बल्ले और स्टम्प से पीटा. उसके बाद उसे निर्वस्त्र करके ठंडे पानी में डुबो दिया. उसके मुंह में ‘कुरकुरे’ और बिस्कुट ठूंस दिया, उसके बाद शौचालय के गंदे पानी से भरी बाल्टी की मदद से उसका गला दबा दिया. 

देहरादून के रानीपोखरी जिले में होम एकेडमी सीनियर सेकेंडरी स्कूल के 12 वर्षीय कक्षा 7 के छात्र के साथ उस समय ये हादसा हुआ जब स्कूल के बॉयज हॉस्टल में 200 से अधिक छात्रों और चार स्टाफ सदस्यों में से कोई मौजूद नहीं था. मात्र 500 वर्ग गज में फैले इस हॉस्टल के दो मंज़िला परिसर में किसी ने उस मासूम की चीखें नहीं सुनी. और पिटाई के कुछ ही घंटो बाद उसकी आंतरिक रक्तस्राव के कारण मौत हो गई. 

ThePrint की रिपोर्ट के मुताबिक़, पुलिस जांच में दो मुख्य आरोपियों के बारे में कई जानकारियां सामने आईं. इन दो सीनियर स्टूडेंट्स में 19 साल का नाबालिग शुभंकर और 19 साल के ही लक्ष्मण के साथ ड्यूटी पर मौजूद हॉस्टल के तीन स्टाफ़ मेंबर्स जिनमें फिज़िकल एजुकेशन टीचर, अशोक, हॉस्टल के वार्डन, अजय और स्कूल प्रशासन की तरफ से प्रवीण मेसिह मौजूद थे, जिन्हें 23 मार्च को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. 

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अशोक कुमार महानिदेशक लॉ एंड ऑर्डर, देहरादून ने कहा, ‘कक्षा 12 के दो छात्रों को हत्या और सबूतों को नष्ट करने के लिए गिरफ़्तार किया गया है स्कूल और हॉस्टल के कर्मचारियों को आईपीसी की धारा 201 (सबूतों को गायब करना और स्क्रीन अपराधी को ग़लत जानकारी देना) के तहत गिरफ़्तार किया गया था. 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 10 मार्च को इस बच्चे की हत्या कर दी गई थी, लेकिन 22 मार्च को आयी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद हत्या के मामले में इस सबकी गिरफ़्तारी हुई थी. गौर करने वाली बात ये हैं कि घटना के दो मुख्य आरोपियों में से एक पंजाब से है और दूसरा उत्तर प्रदेश का है और इस दोनों के ही पेरेंट्स कुष्ठ रोग से ग्रसित हैं. 

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पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक चिल्ड्रेन होम एकेडमी, एक मिशनरी स्कूल है जिसकी शुरुआत 1974 में चिल्ड्रेंस होम सोसाइटी नामक एक गैर-लाभकारी संस्था के तहत की गई थी. इसमें 400 से अधिक छात्र हैं – जिसमें हॉस्टल में रहने वाले स्टूडेंट्स भी शामिल हैं और अपने घर से आने वाले स्टूडेंट्स भी हैं. इस स्कूल के हॉस्टल में केवल उन बच्चों को रहने की अनुमति है, जिनके पेरेंट्स देश के कुष्ठ आश्रमों में रहते हैं, जबकि आसपास के गांवों से आने वाले बच्चे भी हैं. एकेडमी, हॉस्टल में रहने वाले बच्चों को मुफ़्त शिक्षा, रहना और खाना देने का दावा करती है. यहां लड़के और लड़कियां दोनों ही रहते और पढ़ते हैं. इसके साथ ही बाहर से आने वाले स्टूडेंट्स को से कम से कम फ़ीस देनी होती है. 

क्रमवार घटना को समझिये: 

कथित तौर पिछले महीने 10 मार्च को शुभांकर और लक्ष्मण, जो रूममेट्स थे, ने दोपहर के समय उस मासूम बच्चे को उसके कमरे के अंदर ज़बरदस्ती रोक लिया. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बच्चे का कमरा नंबर 2 ग्राउंड फ्लोर पर हॉस्टल के प्रभारी के ऑफ़िस से कुछ मीटर की दूरी पर था. उसके बाद दोनों ने बच्चे को पीटना शुरू कर दिया. इस पिटाई की वजह ये थी कि उस बच्चे ने हॉस्टल के बगल में स्थित किराने की दुकान से बिस्कुट का एक पैकेट चुराने की कोशिश की थी और दुकानदार ने इसकी शिकायत स्कूल प्रशासन को कर दी थी, जिसके बाद स्कूल प्रशासन ने हॉस्टल रविवार को किसी भी स्टूडेंट के हॉस्टल से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी थी. 

ThePrint के अनुसार, दोनों मुख्य आरोपियों ने अपने बयान बताया था कि वो रविवार के बाहर जाने का कार्यक्रम रद्द होने पर उस बच्चे को ‘सबक’ सिखाना चाहते थे. उन्होंने ये भी बताया कि वो स्टम्प और बैट लेकर नाबालिग बच्चे के कमरे में गए और उसे खूब पीटा. फिर वो उसे बास्केटबॉल कोर्ट में घसीट कर ले गए और उसे तब तक चक्कर लगाने को बोले जब तक कि वो थक न जाये. 

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 नाम न छापने की शर्त पर मामले की जांच कर रहे अधिकारी ने बताया, ‘जब तक वो थक नहीं गया तब तक दोनों ने उसे बास्केट बॉल कोर्ट के कई चक्कर लगवाए. जब वो रुका तो उन्होंने उसके पैर पर बैट से मारा. 

उन्होंने कहा ‘फिर वो उस स्टूडेंट को हॉस्टल की छत पर घसीट कर ले गए और उसे अपने पैरों और बाहों को एक पाइप से लपेटने के लिए कहा. डरे हुए छात्र ने उनकी सभी बातों को मान लिया.’ जब उसने खुद को पाइप से लपेट लिया, तो उसके निचले शरीर – कूल्हे, जांघों, उसके पैरों के नीचे उन दोनों ने उसको पीटा.

चश्मदीद गवाह

ThePrint की रिपोर्ट के मुताबिक़, इस घटना का एक चश्मदीद गवाह भी है, जो उस मासूम का रूममेट है और वो उस समय छत पर ही था. उसने पुलिस को बताया कि जब उसके दोस्त ने पानी मांगा तो वो दोनों ने उसे छत पर रखे टैंक तक खींच कर ले गए जिसमें गंदा पानी स्टोर होता है और उसे वही गंदा पानी पीने के लिए मजबूर किया. उसके बाद वो दोनों सीनियर्स ने उसे डाइनिंग हॉल में खींच कर ले गए और उसे राजमा चावल खिलाया. 

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जांच अधिकारी ने बताया कि, ‘चश्मदीद ने कहा कि वो बच्चा पूरी तरह से थक गया था और ठीक से चल भी नहीं पा रहा था. उसने उन दोनों से उसको छोड़ने का अनुराध भी किया लेकिन उन्होंने उसकी कोई बात नहीं मानी.’ चश्मदीद गवाह और दोनों आरोपियों के बयान के अनुसार, दोनों ने लड़के के कपड़े उतार दिए और फिर उसके कूल्हे पर ख़ूब मारा. पुलिस के अनुसार, उन्होंने नाबालिग की जेब से कुछ पैसे निकाले और एक जूनियर को ‘कुरकुरे’ और बिस्कुट लाने को कहा. 

अधिकारी ने कहा, ‘उन्होंने कुरकुरे और बिस्कुट के पैकेट के साथ नाबालिग के चेहरे को भर दिया, उसकी पिटाई की. जब नाबालिग ने पानी मांगा, तो उन्होंने एक जूनियर से शौचालय से एक बाल्टी पानी लाने को कहा. बयान में उन्होंने माना है कि तब तक उन्होंने नाबालिग के चेहरे को बाल्टी के अंदर तब तक दबा कर रखा जब तक कि वो सांस लेने के लिए तड़पने नहीं लगा. जांच अधिकारी ने बताया, ‘उन्होंने नाबालिग से कहा कि बोले कि पी ले जितना पानी पीना है.’

पहले हुई उल्टी, फिर हुई मौत 

इस सब के 6 घंटे बाद लगभग 6:30 बजे ‘स्टडी टाइम’ के लिए स्कूल की घंटी बजी और दोनों सीनियर्स नाबालिग को एक बार फिर मेस में ले गए. दोनों सीनियर्स ने नाबालिग को शिकायत न करने की धमकी दी. उन्होंने उसके चेहरे को साफ़ किया, उसके कपड़े ठीक किये और कोने की सीट पर बैठा दिया’. उस वक़्त हॉस्टल वार्डन अजय ड्यूटी पर थे, तब उन्होंने नाबालिग को एक कोने में डेस्क पर सर झुकाये बैठे देखा. फिर उन्होंने उससे पूछा कि क्या वो ठीक? अधिकारी ने बताया कि जैसे ही वो बच्चा उठा, उसने उल्टी की और बेहोश हो गया. 

फिर नाबालिग को स्थानीय जॉली ग्रांट अस्पताल ले जाया गया. स्कूल के अधिकारियों का कहना है कि उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई, जबकि अस्पताल ने कहा कि आते ही उसे मृत घोषित कर दिया गया था. वहीं एक दूसरे पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘पूछताछ में स्टाफ़ नर्स ने बताया कि नाबालिग की अस्पताल लाते समय ही मौत हो गई थी’. 

शुभंकर और लक्ष्मण ने अपने बयान में माना है कि लड़के की मौत की खबर जब हॉस्टल तक पहुंची तो उन्होंने जिस स्टम्प से नाबालिग को पीटा था उसको कूड़े के ढेर में जला दिया. लेकिन छानबीन के दौरान पुलिस ने छात्रावास परिसर से आधा जला हुआ स्टम्प बरामद किया है.

पूरी बॉडी पर थे 17 चोटों के निशान

वहीं स्कूल के अधिकारियों ने इसे ‘फूड पॉइज़निंग’ का रूप देने की कोशिश की, जबकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उसके कूल्हे, जांघों और उसके पैरों के नीचे मामूली चोट समेत 17 चोटों के निशान थे. बच्चे की कमर में लगी चोट काफ़ी गंभीर थी क्योंकि उसे किसी कठोर चीज़ से मारा गया था, जिसकी वजह से बॉडी के अंदर ही अंदर खून बह गया था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से एक बात और सामने आयी कि उसकी बॉडी के उस हिस्से पर सीनियर्स में मारा था जो दिखाई नहीं दे रहे थे. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जब तक ये तय नहीं हुआ था कि शव को एम्स ऋषिकेश ले जाया जाएगा, तब तक स्कूल के अधिकारियों ने बच्चे के पिता को सूचना तक नहीं दी, जो उत्तर प्रदेश के हापुड़ में एक कुष्ठ आश्रम में रहते हैं.

इसके अलावा भी हैं आत्महत्या और बलात्कार के मामले 

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बाल अधिकार निकाय प्रमुख, ऊषा नेगी ने भी ये आरोप लगाया कि ‘इसी एकेडमी द्वारा संचालित गर्ल्स हॉस्टल में एक लड़की ने आत्महत्या की थी’. ऊषा नेगी ने कहा, ‘उसी लड़के के छात्रावास का एक लड़का पिछले साल लापता हो गया था, स्कूल से एक सामूहिक बलात्कार की भी जानकारी मिली थी, लेकिन पुलिस विभाग के अधिकारियों ने मामले को शांत कर दिया था.’

यही स्कूल एक बार फिर से ख़बरों में है. Hindustan Times की रिपोर्ट के अनुसार, इस बार इस स्कूल और यहां के स्टाफ़ पर 7 साल की एक बच्ची के साथ सात साल पहले हुए बलात्कार के मामले को छुपाने का आरोप है. 

Hindustan Times से बात करते हुए राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने कहा:

हमें पता चला है कि 2012 में 7वीं कक्षा में पढ़ने वाली एक लड़की के साथ भी स्कूल स्टाफ़ ने बलात्कार किया था, लेकिन उस मामले में कुछ नहीं हुआ। उस लड़की को भी कोई न्याय नहीं मिला, हम इन सभी मामलों के लिए लड़ेंगे। इसके साथ ही उन्होंने 2006 में हुए एक और रेप केस का ज़िक्र किया जहां उपर्युक्त स्कूल के प्रबंधक के रिश्तेदार द्वारा एक लड़की का शारीरिक शोषण किया गया था।
– ऊषा नेगी
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‘वो एक स्कूल चला रहे हैं और पैसे के लिए सभी तरह के अवैध काम कर रहे हैं. वो मुफ़्त शिक्षा देने का दावा करते हैं लेकिन ये सच नहीं है. बच्चों के अभिभावकों ने बताया कि उनको अपने बच्चों के लिए हर महीने 3,500 रुपये देने पड़ते हैं.’ 

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इस पूरी रिपोर्ट से एक बात सामने आई है कि संस्था के नाम पर चल रहे अधिकतर स्कूलों में बच्चों को कई तरह से प्रताड़ित किया जाता है और उनकी सुरक्षा पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता. जैसे कि इस स्कूल में दो स्टूडेंट्स ने इतनी बर्बरता के साथ बच्चे को मार दिया और स्कूल प्रशासन को कुछ भी सुनाई नहीं दिया.