हमारा समाज पूरी तरह से ‘स्पेशल’ व्यक्तियों को नहीं आज़मा पाया है. विकलांगों और गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों को आज भी भेदभाव का सामना करना पड़ता है. कुछ ऐसा ही हुआ 17 वर्षीय ममता नायक के साथ.
Cerebral Palsy से पीड़ित ममता को कई स्कूलों ने एडमिशन देने से मना कर दिया था. सोमवार को 10वीं के परिक्षाओं के रिज़ल्ट आए और ममता ने उन सभी स्कूलों को ग़लत साबित किया.
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ममता ने 500 में 452 अंक हासिल करके मुंबई के अंधेरी वेस्ट स्थित राजहंस विद्यालय का मान बढ़ाया.
Cerebral Palsy से पीड़ित लोग कई बार बिना सहारे के चल नहीं पाते और उन्हें लिखने-बोलने में दिक्कत होती है. ममता ने अपनी पढ़ाई और Physiotherapy Sessions के बीच संतुलन बनाया और ये मुकाम हासिल किया.
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उसने सारे विषयों की परिक्षाएं मौखिक रूप में दी और गणित की परिक्षा नहीं दी.
ममता के स्कूल की प्रधानाध्यापिका दीपशिखा श्रीवास्तव के शब्दों में,
‘ममता बहुत मेहनती है और बहुत मुस्कुराती है. वो सभी के लिए एक प्रेरणा है.’
सोमवार को सीबीएसई ने 10वीं के रिज़ल्ट घोषित किए.
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