दिन और साल बदलते जा रहे हैं, हम बातें भी ख़ूब ठोक देते हैं सोशल मीडिया पर मगर हक़ीक़त यही है कि माहवारी (Periods) के दिनों में आज भी सैनिटरी पैड करोड़ों लड़कियों के लिए एक लग्ज़री है.  

सैनिटरी पैड्स की इस कमी को देखते हुए बिहार के नवादा जिले में युवा लड़कियों ने ग़रीब लड़कियों के लिए सैनिटरी पेड बैंक खोला है.  

लड़कियों ने देखा कि कैसे रुपयों की कमी के कारण कई लड़कियों को सैनिटरी पैड नहीं मिल पाते हैं, तो उन्होंने मिलकर एक पहल शुरू की. जिसमें उन्होंने रोज़ाना अपनी इच्छा से 1 रुपये दान करना शुरू किया और बैंक की स्थापना कर दी. 

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लड़कियों ने बताया कि ‘मैं कुछ भी कर सकती हूं’ नाम के Edutainment (Education+Entertainment) से उन्हें यह करने की प्रेरणा मिली. 

अमावा गांव की युवा नेता अनु कुमारी कहती हैं, ‘जिसके पास रुपये नहीं है उसकी मदद करने के लिए, हम हर दिन एक रुपया जमा करते हैं. इसका मतलब है कि प्रत्येक लड़की एक महीने में 30 रुपये देती है. हम सैनिटरी पैड ख़रीदते हैं और इसे ग़रीब लड़कियों में वितरित करते हैं.’ 

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ये लड़कियां अब महत्वपूर्ण लेकिन समाज द्वारा वर्जित विषयों जैसे गर्भनिरोधक विकल्पों के बारे में भी बात करती हैं. हरदिया की 17 वर्षीय मौसम कुमारी कहती हैं, ‘अब हम गांवों का दौरा करते हैं और महिलाओं को अंतरा इंजेक्शन, कॉपर टी, कंडोम जैसे विकल्पों के बारे में बताते हैं.’ 

ये लड़कियां यहीं नहीं रुकीं, बल्कि लड़कियों ने प्राधिकारियों से मौजूदा सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों में यूथ-फ़्रेंडली क्लीनिक खोलने की भी बात की है.