भारत में कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है. सोशल डिस्टेंसिंग और कड़े नियमों के कारण बहुत से लोगों के रोज़गार चले गए और कई काम-धंधे बंद हो गए. गोवा में भी कुछ ऐसा ही हाल देखने को मिल रहा है. कोरोना संक्रमण की वजह से यहां के पर्यटन उद्योग की हालत ख़राब है, जिसके चलते ड्रग्स बेचने वालों के भी बुरे दिन आ गए हैं. 

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दरअसल, ड्रग्स बेचने वालों की कमाई का ज़रिया गोवा आने वाले टूरिस्ट थे. चूंकि अब वो यहां आ नहीं रहे तो इन लोगों की कमाई बंद हो गई है. ऐसे में कुछ ड्रग्स सप्लाई करने वालों ने सब्ज़ी-फल और मास्क बेचने शुरू कर दिए हैं तो कुछ ने गाड़ियों की सफ़ाई और कंस्ट्रक्शन साइट्स पर मज़दूरी जैसे कामों का सहारा लिया है. 

मापुसा जिला हॉस्पिटल के ड्रग ट्रीटमेंट सेंटर में मेडिकल ऑफ़िसर डॉक्टर रविंद्र पाटिल ने बताया कि ड्रग्स बेचने वाले 2 लोगों ने अब फ़ेस मास्क बनाना शुरू कर दिया है. 

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उन्होंने कहा, ‘मुझे खुशी है कि उन्होंने आय का कोई भी वैकल्पिक स्रोत अपना लिया. कुछ निर्माण श्रमिकों के रूप में भी काम कर रहे हैं. हम ये देखकर खुश हैं कि वे अपने काम से खुश हैं.’ 

The Times of India की रिपोर्ट के मुताबिक़, देश में लॉकडाउन लागू होने के बाद ड्रग्स रिहैबिलिटेशन के लिए आने वालों की संख्या पहले की तुलना में बढ़ गई है. मार्च से पहले लगभग 25-30 लोग रेगुलर सेंटर पर आते थे. अप्रैल और मई के महीने में संख्या बढ़कर 60 हो गई. हिरोइन के लती 68 व्यक्ति अब तक MMT उपचार के लिए इनरोल्ड हुए. इस बीच, 40-50 व्यक्ति राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) के माध्यम से कार्यान्वित एक कार्यक्रम से गुज़र रहे हैं. डॉक्टरों ने बताया कि मई में ऐसे मरीज़ों की संख्या में हुई बढ़ोतरी की वजह से सेंटर में दवाइयां कम पड़ गई हैं.