असम के चिरांग जिले की निवासी Buli Basumatary देश भर में National Senior Archery Championship में 50 मीटर के गेम में तीरंदाजी में गोल्ड जीतकर चर्चा में आई थीं. वो स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया में ट्रेनिंग की हुई हैं. हाल ही में वो उस समय चर्चा में आईं, जब सड़क किनारे संतरे बेंच रही थीं. इसके बाद उनकी स्टोरी सब तरफ छा गई, अथॉरिटीज़ ने भी इस तरफ देखा और आख़िरकार उन्हें जॉब मिल गई.
2010 में Buli चोटिल हो गई थीं, जिसके कारण उनका खेल की दुनिया से रिश्ता ही टूट गया. सरकार या किसी स्पोर्ट्स अथॉरिटी द्वारा मिले किसी आर्थिक सहयोग के बिना तीरंदाज़ी का उनका सपना बीच में ही टूट गया. एक मजदूर से शादी करने और दो बच्चों की मां बनने के बाद वो आर्थिक मुश्किलों में फंस गई, फिर उन्हें नेशनल हाइवे 31 के किनारे संतरे बेंचने को मजबूर होना पड़ा.
28 साल की Buli, जो कहती हैं कि उनके मेडल्स ही उनकी सबसे बड़ी दौलत हैं, तीरंदाज़ों को Sidli-Koshikotra Higher Secondary school में सिखाती थीं. वो कहती हैं कि अगर असम सरकार और Bodo Territorial Council का सपोर्ट मिले तो अब भी वे प्रोफ़ेशनली खेल सकती हैं.
अब Buli को तीरंदाज़ी कोच के रूप में Saruhojai में नियुक्ति मिली है और इसी सप्ताह वो ज्वाइन कर लेंगी. दो दिन पूर्व वो असम के खेल मंत्री Naba Kumar Doley से मिली थी, जिसके बाद उन्हें सपोर्ट मिला. ये सब हो स्का मीडिया के एक्टिव होने के कारण.
Buli ने दो गोल्ड और एक सिल्वर मेडल नेशनल सब-जूनियर चैम्पियनशिप 2014 में राजस्थान में जीता था. महाराष्ट्र में भी उन्होंने एक गोल्ड और सिल्वर जीता था. 28वें राष्ट्रीय तीरंदाज़ी चैम्पियनशिप 2008 में भी उन्होंने जमशेदपुर में सिल्वर जीता. हमें उम्मीद है कि सपोर्ट मिलने से वो जल्द ही एक बार फिर उनमें खेलने का जज़्बा पैदा हो सकेगा.