मध्य प्रदेश के सरकारी दफ़्तर अब गौमूत्र से बने फ़िनाइल से साफ़ होंगे. ये सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने इसके लिए शनिवार को एक आदेश जारी किया है. इसके तहत, सभी सरकारी कार्यालयों के परिसर को साफ़ करने के लिए केमिकल युक्त फ़िनाइल को गौमूत्र फ़िनाइल से बदलना होगा.

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News18 की रिपोर्ट के मुताबिक, गायों के संरक्षण और संवर्धन के लिए नवंबर में आयोजित पहली गाय कैबिनेट में ‘गौ-फ़िनाइल’ का उपयोग करने का फ़ैसला लिया गया था, जिसमें छह विभागों पशुपालन, कृषि, पंचायत, वन, गृह और राजस्व को शामिल किया गया है. इस तरह का क़दम उठाने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है.

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पशुपालन विभाग के मंत्री प्रेम सिंह पटेल ने कहा कि, इस कदम का उद्देश्य गौमूत्र के बॉटलिंग प्लांट को बढ़ावा देने और गौमूत्र के कारखानों को स्थापित करना है. 

उन्होंने कहा, ‘हमने उत्पादन से पहले मांग उत्पन्न की है. अब, लोग गैर-दुधारू गायों को नहीं छोड़ेंगे और इससे मध्य प्रदेश में गायों की स्थिति में सुधार होगा.’

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हालांकि, सरकार के इस फ़ैसले पर विपक्ष हमलावर हो गया है. कांग्रेस का आरोप है कि शिवराज सरकार गौ-फ़िनाइल की आड़ में किसी एक निजी कंपनी को फ़ायदा पहुंचाना चाहती है.

कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी का कहना है, ‘सरकार बिना किसी बुनियादी ढांचे की स्थापना के इस फ़ैसले के साथ आती है. अगर राज्य सरकार वास्तव में आवारा गायों की स्थिति में सुधार के लिए गायों के उत्पादों को बढ़ावा देना चाहती है, तो उन्हें कम से कम राज्य में कुछ कारखानों को शुरू करना चाहिए. अब, उत्तराखंड की एक निजी कंपनी द्वारा मांग को पूरा किया जाएगा.’