भारत को आज़ादी की दहलीज़ तक पहुंचाने वाले महात्मा गांधी का सम्मान सिर्फ़ हिंदुस्तान ही नहीं, बल्कि सारी दुनिया करती है. उनके द्वारा दिखाए गए सत्य और अहिंसा के पाठ का आज भी कई लोग अनुसरण करते हैं, पर ऐसा लगता है कि उनका अपना ही देश उनकी कद्र करना भूल गया है.

ख़बर आ रही है कि मध्य प्रदेश में नर्मदा बचाने को ले कर मेधा पाटेकर एक बार फिर आंदोलन करने वाली हैं. इस बार उन्होंने नर्मदा के किनारे पर बनी बरवानी की गांधी समाधी को चुना है. मेधा पाटेकर अपने आंदोलन की शुरुआत करती कि उससे पहले ही प्रदेश सरकार ने महात्मा गांधी की समाधि को दूर ले जाने के उद्देश्य से उसे खोद डाला. लोगों की नज़रों से बचाने के लिए इस घटना को रात को अंजाम दिया गया.

दिल्ली के राजघाट की तरह ही यहां भी महात्मा गांधी की अंतिम संस्कार की राख को एक अस्थि कलश में रखा गया है. गांधी जी के साथ ही यहां कस्तूरबा गांधी और गांधी जी के सचिव महादेव देसाई की समाधी भी मौजूद थी, जिसे खोद कर निकाल लिया गया है. अधिकारियों का कहना है कि ‘ऐसा इसलिए किया गया है, क्योंकि नर्मदा के पास होने की वजह से समाधी के जलमग्न होने का खतरा था. समाधी को यहां से 2 किलोमीटर दूर कूकरी गांव में विस्थापित किया गया है.’

सरकार और प्रशासन बेशक इसके पीछे कोई भी वजह बता रहे हों, पर बिना किसी आधिकारिक सूचना के ऐसा करना उन्हें सवालों के कटघरे में खड़ा करता है.