भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञों में से एक वशिष्ठ नारायण सिंह का गुरुवार को 74 साल की उम्र में निधन हो गया है. बताया जा रहा है कि वो पिछले कई वर्षों से बीमार चल रहे थे. बिहार के पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में उनका इलाज चल रहा था.
Patna: Mathematician Vashishtha Narayan Singh passes away at Patna Medical College and Hospital (PMCH). He was 74 years old. #Bihar
— ANI (@ANI) November 14, 2019
दुःख की बात ये रही कि अंतिम समय में उन्हें ऐम्बुलेंस तक नसीब नहीं हुई. मौत के बाद उनका शव अस्पताल कैंपस में स्ट्रेचर पर पड़ा रहा. जब इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने लगीं, तब जाकर प्रशासन ने इसकी सुध ली.
अब बिहार सरकार ने वशिष्ठ नारायण सिंह का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ करने का ऐलान किया है.
ये पीएमसीएच कैंपस में महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का पार्थिव शरीर है, जिनके परिजनों को एम्बुलेंस तक मुहैया कराने की औपचारिकता अस्पताल प्रशासन ने नहीं निभाई। शर्मनाक है ये! जिस आदमी की उपलब्धियों पर बिहार समेत देश गर्व करता है, अंत में भी उसके साथ ऐसा व्यवहार? @NitishKumar ??? pic.twitter.com/48yjQFZkHx
— Brajesh Kumar Singh (@brajeshksingh) November 14, 2019
वशिष्ठ नारायण बिहार की राजधानी पटना स्थित एक अपार्टमेंट में गुमनामी का जीवन बिता रहे थे. ये महान गणितज्ञ 44 सालों तक मानसिक बीमारी सिजोफ़्रेनिया से पीड़ित रहे.
आंइंस्टीन को दी थी चुनौती!
कहा जाता है कि वशिष्ठ नारायण सिंह ने आंइस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत को चुनौती दी थी. हालांकि, अब तक इसके सबूत कहीं नहीं मिल सके हैं.
इस महान गणितज्ञ के बारे में कहा जाता है कि नासा द्वारा अपोलो की लॉन्चिंग से पहले जब सभी कंप्यूटर्स कुछ समय के लिए बंद पद गए थे. कंप्यूटर ठीक होने पर वशिष्ठ नारायण और कंप्यूटर्स की कैलकुलेशन एक जैसी थी.
कौन थे वशिष्ठ नारायण सिंह?
वशिष्ठ नारायण सिंह का जन्म बिहार के के भोजपुर ज़िले के बसंतपुर गांव में 2 अप्रैल 1942 को एक बेहद ग़रीब परिवार में हुआ था. वो पढ़ाई में इतने तेज़ थे कि उन्होंने अपनी पढ़ाई के आगे ग़रीबी को नहीं आने दिया और दुनियाभर में अपनी कामयाबी के झंडे गाड़े.
पटना साइंस कॉलेज में पढ़ने के दौरान ही वशिष्ठ नारायण कैलिफ़ोर्निया विवि के प्रो. जॉन कैली की नज़रों में आए. प्रो. जॉन उनकी प्रतिभा को पहचान गए और फिर 1965 में वशिष्ठ नारायण उनके साथ अमेरिका चले गए.
साल 1969 में वशिष्ठ नारायण ने ‘कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी’ से पीएचडी की. फिर वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफ़ेसर बने. वशिष्ठ नारायण ने नासा में भी काम किया. लेकिन मन न लगने पर साल 1971 में वापस भारत लौट आए.
भारत वापस लौटने के बाद वशिष्ठ नारायण सिंह ने आईआईटी कानपुर, आईआईटी बंबई और आईएसआई कोलकाता जैसे बड़े संस्थानों में अपनी सेवाएं दी थीं.
सोशल मीडिया पर भी कई बड़ी शख़्सियत वशिष्ठ नारायण सिंह के जाने पर दुःख जाता रहे हैं-
विश्वास नहीं होता कि ये देश के महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह जी का पार्थिव शरीर है। ऐसी लावारिस स्थिति में पड़ा अम्बूलेंस का इंतज़ार कर रहा है। हम शायद आपको डिज़र्व ही नहीं करते थे सर, शर्म सिर से झुक गया। बिहार सरकार और @NitishKumar को माफ़ी माँगनी चाहिए आपके परिवार से। pic.twitter.com/vqAprJInJD
— Bhaiyyaji (@bhaiyyajispeaks) November 14, 2019
इनकी मानसिक स्थिति बिगड़ गई थी। सिर्फ गाणित ही था जो उन्हें याद रहता था । बाकि कुछ नहीं। बिहार सरकार को उनके लिए विशेष व्यवस्था करनी चाहिए थी।
— basu (@baskodigama) November 14, 2019
इस व्यक्ति के लिए पटना कॉलेज के नियम बदले गए थे और इनको bacholer & master डिग्री एक साल में ही दे दी गयी थी। नेतरहाट स्कूल में भी टॉप किये थे और USA के टॉप यूनिवर्सिटी, नासा और IIT में कार्य अनुभव रहा है। ये अगले field medalist हो सकते थे लेकिन दुर्भाग्य था कि बिहार में जन्मे
— Shatrughan 🇮🇳 (@ShatrughanSingh) November 14, 2019
यह ही इस देश का दुर्भाग्य है
— पुलकित वशिष्ठ 🇮🇳 (@Modern_Monk719) November 14, 2019
नाचने वाले हीरो हीरोइन तो लोग सर पर बैठाते हैं और ऐसे महानायकों को एम्बुलेंस भी नसीब नहीं होती
जिन लोगों में कुछ करने की क्षमता होती है तो तुरंत विदेश चले जाते हैं. उन्हें पता है यहाँ उनके काम को कोई नहीं सराहेगा और बची कुची कसर आरक्षण पूरी कर देता है
मन बहुत व्यथित है आज। बिहार का गौरव हमें छोड़कर चले गए। हम ऐसी महान आत्मा को डिजर्व नहीं करते थे ये तो सच है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति और मोक्ष प्रदान करें। ओम् शांति 🙏🙏
— Savita Singh (@savitasing) November 14, 2019
ये सत्य और यथार्थ है, आनंद कुमार पर फ़िल्म बन गयी और ये प्रतिभा गुमनामी में विलुप्त हो गयी, हर प्रतिभा का भाग्य apj, सीवन, नम्बि नारायण, या ऐसे अनेक व्यक्तियों जैसा नही होता, ये घटना बताती है कि ईश्वर का हाथ होना बोहोत ज़रूरी है।
— Kyutiyapa.Com 🇮🇳 (@kyutiyapa) November 14, 2019
खोनें के लिए जब कुछ नहीं होता है तब व्यक्ति खुद में खुद को खोकर खुद चुप हो जाता है!
— 🌱एक शायर🌱 (@zziRhjX6JythKfN) November 14, 2019
💐🙏वशिष्ठ बाबू 🙏💐 pic.twitter.com/d5V3ehPTTi
महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह के निधन के बाद पटना मेडिकल कॉलेज द्वारा ऐंबुलेंस नदेना घोर लापरवाही है। देश के स्टीफन हॉकिंग कहे जाने वाले सिंह की लाश करीब एक घंटे तक ऐंबुलेंस के इंतजार में अस्पताल के बाहर। दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। पर ऐसा हो पायेगा?
— S R Yadav, Journalist (@srykhaajtak) November 14, 2019