ओडिशा में चक्रवाती तूफ़ान ‘फ़ानी’ का कहर जारी है. इस तूफ़ान के चलते अब तक कुल 16 लोगों की मौत हो चुकी है. ओडिशा के लगभग 10 हज़ार से ज़्यादा गांवों और 52 शहरी क्षेत्रों में राहत और बचाव का काम अब भी जारी है.  

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इस तूफ़ान में जान गंवाने वालों की संख्या और भी बढ़ सकती थी लेकिन ISRO ने समय रहते हज़ारों लोगों की जान बचाने में अहम भूमिका निभाई, जिसकी तारीफ़ अमेरिका भी कर चुका है. IRSO की सैटेलाइट अगर वक़्त रहते इस तूफ़ान की पहचान न करती, तो शायद स्थिति कुछ और ही होती.  

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ISRO ने कैसे निभाई अहम भूमिका? 

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दरअसल, मौसम वैज्ञानिकों ने एक हफ्ते पहले ही दक्षिणी हिंद महासागर में चक्रवाती तूफ़ान के उत्पन्न होने की चेतावनी जारी कर दी थी. इस तूफ़ान पर इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) की पांच सैटेलाइट्स Insat-3D, Insat-3DR, Scatsat-1, Oceansat-2 और मेघा ट्रॉपिक्स लगातार नज़र रखे हुए थीं. ये सैटेलाइट्स हर 15 मिनट के बाद ग्राउंड स्टेशन को नया डेटा और लोकेशन भेज रही थीं, जिसकी वजह से हज़ारों लोगों को तूफ़ान प्रभावित इलाकों से वक़्त रहते सुरक्षित निकाल लिया गया. 

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India Meteorological Department के डायरेक्टर जनरल केजे रमेश का कहना है कि इसरो के सैटलाइटों ने हज़ारों लोगों की जान बचाने में अहम भूमिका निभाई है. इन सैटेलाइट्स से मिले डेटा के ज़रिए ही मौसम विभाग सटीक पूर्वानुमान लगाने में कामयाब रहा. इस अहम सूचना के बाद ओडिशा, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल ने करीब 11.6 लाख से ज़्यादा लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचा गया.  

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दरअसल, ISRO के Scatsat-1 से भेजे गए डेटा से चक्रवाती तूफ़ान के केंद्र पर नज़र रखी गई थी, वहीं Oceansat-2 समुद्री सतह, हवा की गति और दिशा के बारे में लगातार India Meteorological Department को डेटा भेजने का काम कर रहा था. इसी सूचना के आधार पर मौसम विभाग की तत्परता के चलते NDRF की टीमों ने हज़ारों लोगों की जान बचाई.  

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मौसम विभाग के मुताबिक़, ‘फ़ानी’ शुक्रवार को पुरी के तटीय क्षेत्र से टकराया था. माना जा रहा है कि बीते 43 सालों में पहली बार ओडिशा पहुंचने वाला और बीते 150 सालों में आये तीन सबसे ताकतवर तूफ़ानों में से एक है. जबकि ये तूफ़ान गर्मी के मौसम में आने वाले सबसे ताक़तवर तूफ़ानों में से एक माना जा रहा है.