देश में स्वास्थ्य व्यवस्था के मौजूदा हालात किसी से नहीं छिपे हैं. कहीं कोई चिकित्सा के अभाव में बेमौत मर रहा है, तो कहीं लाखों पैसे भरने के बाद भी डॉक्टरों की लापरवाही के कारण मासूम ज़िन्दगियां बर्बाद हो रही हैं.
गोरख़पुर के बीआरडी अस्पताल में मौत का तांडव हो या मंहगे प्राइवेट अस्पतालों का काला सच, बीते साल देश ने बहुत कुछ देखा.
अब देश में विकास का मॉडल कहे जाने वाले गुजरात राज्य में एक ऐतिहासिक फ़ैसला लिया गया है. गुजरात में Specialist डॉक्टर्स की कमी की खानापूर्ति करने के लिए ‘बाल डॉक्टर्स’ योजना चलाई जाएगी. जी, सही पढ़ा आपने. बच्चों के स्वास्थ्य की ज़िम्मेदारी अब बच्चे ही उठाएंगे. पढ़ने में अजीब लगा होगा, लाज़मी भी है.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2018/01/5a4c8d91f89ec113672cfad8_377bc002-4b68-452b-b884-05ae75a02660.jpg)
गुजरात के स्वास्थ्य डिपार्टमेंट के अफ़सरों ने जानकारी दी कि छठी कक्षा में पढ़ने वाली 11 वर्षीय Kajal Bhupatbhai Khant को इस पायलट प्रोजेक्त के लिए Nominate किया गया है. ‘बाल डॉक्टर्स’ के पास Stethoscopes के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवाईयां भी होंगी.
एक अन्य स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया,
हर प्राइमरी स्कूल में एक बाल डॉक्टर होगा. इसके लिए शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग साथ मिलकर काम करेंगे.
बाल डॉक्टर्स Minor बिमारियों के लिए जांच करेंगे. ये डॉक्टर्स अन्य बच्चों को मिड डे मील से पहले और मील के बाद हाथ धोने के लिए प्रेरित करेंगे. इसके अलावा Weekly Iron and Folic Acid Supplementation (WIFS) को भी मोनिटर करेंगे. इन डॉक्टर्स की ज़िम्मेदारी होगी कि ये बच्चों को किसी भी प्रकार के Addiction से बचाएं और Seasonal बिमारियों के बारे में जानकारियां दें.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2018/01/5a4c8d91f89ec113672cfad8_b9c1b9f2-2e8c-49e4-b03d-19197877c126.jpg)
बाल डॉक्टर्स को डॉक्टर्स की तरह बनाने के लिए इन्हें Apron और Badge भी दिया जाएगा. इसके अलावा टॉर्च, आयुर्वेदिक दवाईयां, बुकलेट आदि भी दिये जाएंगे.
स्टेट हेल्थ कमीश्नर ने TOI को जानकारी देते हुए कहा,
हर स्कूल में इस नीति को लागू किया जायेगा. हम चाहते हैं कि आज के ‘बाल डॉक्टर्स’ कल के डॉक्टर्स बनें.
IMA गुजरात इस नीति से खुश नहीं है. IMA के प्रेसिडेंट ने कहा कि इस बारे में उन्हें ज़्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए.
बहरहाल इस तरह की नीति का प्रस्ताव ही कई प्रश्न खड़े करता है. बिना उचित शिक्षा के, कच्ची उम्र में बच्चों को डॉक्टर कैसा घोषित किया जा सकता है? ये किस तरह का विकास है? हमारे यहां बच्चे भी डॉक्टर हैं, इस पंक्ति को भाषण में उपयोग करने के लिए नेता बच्चों के स्वास्थ्य के साथ इतना बड़ा खिलवाड़ कैसे कर सकते हैं?
Feature Image- Oultook India (Only For Representative Purpose)