उत्तराखंड के जोशीमठ में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करते हुए सैंकड़ों मुस्लिमों ने गुरुद्वारे में ईद की नमाज़ अदा की. दरअसल ये लोग गांधी मैदान में ईद की नमाज़ अदा करने आए थे लेकिन भारी बारिश के चलते ऐसा नहीं हो सका. बारिश की वजह से मैदान में जल-भराव भी हो गया था. इस परेशानी को देखते हुए गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने मुस्लिमों को गुरुद्वारे के अंदर नमाज़ अदा करने का प्रस्ताव दिया, जिसे मुस्लिमों ने स्वीकार कर लिया.

श्री हेमकुंड साहिब गुरूद्वारे के मैनेजर बूटा सिंह ने बताया कि जोशीमठ में सभी धर्मों का सम्मान किया जाता है. बारिश को देखते हुए गुरूद्वारा साहिब के सीनियर मैनेजमेंट और मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने शनिवार को एक छोटी सी मीटिंग रखी और फिर नमाज़ के लिए तैयारियां शुरू हुईं. गुरूद्वारे के हॉल में 500 से ज़्यादा लोगों ने नमाज़ अदा की.

ऐसा पहली बार नहीं है कि यहां ईद की नमाज़ अदा की गई हो. इससे पहले भी 20 अगस्त 2012 को मुस्लिमों ने इसी गुरूद्वारे में नमाज अदा की थी. बकरीद के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग बकरे की कुर्बानी देते हैं. ऐसी मान्यता है कि बकरीद के दिन उपरवाले के लिए किसी खास प्रिय जीव की कुर्बानी देनी होती है. हालांकि, अभी बकरे, भैंस या ऊंट की कुर्बानी देने का रिवाज़ है. मान्यता के मुताबिक, कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है. एक हिस्सा कुर्बानी करने वाले खुद रखते हैं जबकि बाकी दो हिस्सों को वो बांट देते हैं.

50 साल के रईस अहमद के मुताबिक, यूं तो देश में बढ़ रही मन मुटाव और धार्मिक हिंसा की खबरें आती रहती हैं, लेकिन सौभाग्य से हमने अभी तक इस क्षेत्र में ऐसी कोई घटना नहीं देखी है. 

Source: Hindustan Times