सोशल मीडिया पर ‘हल्दीराम’ (Haldiram) को लेकर ख़ूब बवाल चल रहा है. ये सब तब शुरू हुआ, जब एक टीवी चैनल ने सवाल उठाया कि आख़िर ‘फलाहार मिक्सचर’ के पैकेट पर लिखा डिस्क्रिप्शन उर्दू भाषा में क्यों है?
हल्दीराम के आउटलेट में घुसकर सुदर्शन न्यूज़ की गुंडागर्दी.
— Puneet Kumar Singh (@puneetsinghlive) April 5, 2022
यकीन मानिए ये सब पुलिस की मौजूदगी में हो रहा है. #Haldirams pic.twitter.com/SLv47XHVi4
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इसके बाद ट्विटर पर तमाम लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दीं.
Well done to the young girl at #Haldirams – she handled the dumb hate monger (reporter) really well. https://t.co/CI5E6gtWjp
— Shantanu singh (@shantanu940516) April 6, 2022
Dude now I get to know why illiteracy is quite high in India.
— Ranger (@200_loneranger) April 6, 2022
Hats off to the sales lady for handling it well. https://t.co/QaZWohv5QE
हालांकि, सच ये था कि वो डिस्क्रिप्शन उर्दू में नहीं, बल्कि अरबी में लिखा था. मगर ज़्यादातर लोगों के ज़ेहन में सवाल ये है कि आख़िर जब हिंदी और अंग्रेज़ी भाषा में डिस्क्रिप्शन लिखा है, फिर तीसरी भीषा में इसे क्यों लिखा जा रहा है. वो भी अरबी में.
तो आइए जानते हैं कि आख़िर कुछ भारतीय ब्रांड्स अपने उत्पादों पर अरबी भाषा का इस्तेमाल क्यों करते हैं?
मिडिल ईस्ट में अपने उत्पाद बेचने वाले अन्य ब्रांडों में प्रियागोल्ड, पार्ले, एलानसन्स, अमीरा, बॉन, क्रेमिका, ड्यूक्स, इंडिया गेट, पार्ले, प्रियागोल्ड, एमटीआर, मदर्स रेसिपी, रामदेव और रसना शामिल हैं.
बता दें, ज़्यादातर ब्रांड्स अपने प्रोडेक्ट्स पर कई भाषाओं का इस्तेमाल करते हैं. ताकि बड़ी आबादी तक प्रोडेक्ट को पहुंचाया जा सके.
मिडिल-ईस्ट के लिए काफ़ी एक्सपोर्ट करता है भारत
भारतीय दूतावास की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, यूएई भारत का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है, जिसका व्यापार लगभग 41.43 बिलियन अमेरिकी डॉलर (गैर-तेल व्यापार) है. इसके अलावा, खाड़ी में भारत के खाद्य निर्यात में अनाज, चीनी, फल और सब्जियां, चाय, मांस और सी फ़ूड शामिल हैं. संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय उत्पादों जैसे परिधान, प्राचीन वस्तुएं, आर्ट वर्क, बिजली के उपकरण, ब्यूटी प्रोडेक्ट्स, अनाज, जूते, घड़ियां और रत्न वगैरह की काफ़ी डिमांड रहती है.