एक वक़्त था जब 20-30 रुपये में 4 फ़िल्मों वाली डीवीडी रेंट पर लाते थे और एक वक़्त अब है जब 100-200 देकर हज़ारों फ़िल्में, वेब सीरिज़, डॉक्युमेंट्रीज़ देखे जा सकती हैं.
स्ट्रीमिंग सर्विसेज़ ने ज़िन्दगी हद आसान कर दी है. एंटरटेनमेंट हमें भरपूर मिल रहा है पर इसकी क़ीमत पर्यावरण चुका रहा है.
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एक रिपोर्ट के अनुसार आधा घंटे का शो देखने से 1.6 किलोग्राम कार्बन डायऑक्साइड निकलती है. ये 3.9 मील यानी लगभग 6.28 किलोमीटर गाड़ी चलाने के बराबर है.
ग्रीनपीस के गैरी कूक के शब्दों में,
‘डिजिटल वीडियोज़ काफ़ी Large Size की फ़ाइल्स होती हैं. हर जेनेरशन के साथ इनका Size बड़ा होता जाता है. ज़्यादा डेटा यानी की पलभर में आपके पसंदीदा वीडियो को आप तक पहुंचाने में ज़्यादा एनर्जी ख़र्च होती है.’
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पिछले साल ऑनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंग की वजह से स्पेन के बराबर कार्बन एमिशन हुआ था. इसमें से 34 प्रतिशत एमिशन नेटफ़्लिक्स, एमेज़ॉन प्राइम और हुलू की वजह से है. इसके बाद नंबर आता है ऑनलाइन पॉर्न का.
स्ट्रीमिंग सर्विस देने के लिए डेटा सेंटर काफ़ी एनर्जी कन्ज़यूम करता है. यहां से डेटा हमारे कंप्यूटर में आता है.
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