कैंसर का नाम सुनते ही हाथ-पांव फूलने लगते हैं, पर एक शख़्स ऐसा भी है, जो कैंसर का शिकार हुए करीब 1,80,000 लोगों की मदद कर चुका है. 58 साल के हरकचंद सावला कैंसर से पीड़ित लोगों के लिए किसी भगवान से कम नहीं है. वो हिंदुस्तान के उन गिने-चुने लोगों में से एक हैं, जो किसी संगठन के लिए नहीं, बल्कि समाज में रह कर समाज के लिए काम करते हैं.

28 साल पहले टाटा कैंसर हॉस्पिटल के सामने से गुज़रते हुए हरकचंद सोचा करते थे कि कैसे भी करके काश वो इन लोगों की मदद कर पाते. हरकचंद अकसर सोचा करते थे कि ये लोग इलाज कराने के कहां ठहरते होंगे? डॉक्टरों से कैसे सम्पर्क करते होंगे? इन सब के बारे में सोचते हुए हरकचंद कैंसर से पीड़ित लोगों के परिवार वालों के बारे में भी सोचा करते थे कि उन पर क्या बीतती होगी?

इस हॉस्पिटल में आने वाले अधिकतर लोग गरीब तबके से थे, जिनके पास इतना पैसा नहीं होता था कि वो दवाइयों के साथ-साथ खाने का ख़र्च उठा सकें. हरकचंद ने ऐसे लोगों की पहचान करनी शुरू की और इनकी मदद के लिए ‘जीवन ज्योत’ नाम के एक संगठन की नींव रखी. इस संगठन का मकसद कैंसर से जूझ रहे लोगों और उनके परिवारों की मदद करना था. लोगों की मदद करने के उनके इरादे में पैसा सबसे बड़ी अड़चन बन रहा था, जिसके लिए उन्होंने अपने होटल को किराये पर दे दिया और यहां से होने वाली आमदनी का एक-एक पैसा उन्होंने अपने संगठन में लगा दिया.

सबसे पहले उन्होंने टाटा कैंसर हॉस्पिटल के सामने ही एक छोटी सी दुकान ली और यहां आने वाले मरीजों को मुफ़्त खाना देना शुरू किया. आज उनकी इस दुकान को करीब 27 साल हो गए हैं, पर तब से ले कर आज तक हरकचंद लगातार लोगों की ऐसे ही मदद करते आ रहे हैं. 50 लोगों से शुरू हुई इस दुकान पर आज हर दिन करीब 700 से ज़्यादा लोग आते हैं.

अगर आप सोचते हैं कि उनका ये क्रम यहीं तक सीमित है, तो दोस्त आप गलत हैं क्योंकि हरकचंद खाने के साथ-साथ गरीब मरीजों को मुफ़्त दवाइयां भी उपलब्ध कराते हैं. इसके साथ ही हरकचंद ने एक टॉय बैंक भी शुरू किया है, जहां लोग अपने उन खिलौनों को छोड़ जाते हैं, जो उनके इस्तेमाल के नहीं होते, पर ये सब यहां आने वाले गरीब कैंसर पीड़ित बच्चों के लिए किसी खजाने से कम नहीं होते.

हरकचंद को इस सफ़र में तीन डॉक्टरों का साथ भी मिला, जिन्होंने खुद को हरकचंद की मुहीम में शामिल कर ज़रूरतमंदों का मुफ़्त इलाज करना शुरू किया. जीवन ज्योत नाम का ये संगठन आज करीब 60 से भी ज़्यादा प्रोजेक्ट चला कर हज़ारों लोगों की मदद कर रहा है.

आज जब लोग खुद के सपनों के बारे में ही सोचते रहते हैं हरकचंद उन लोगों में से एक हैं, जो असल मायने में लोगों को जीना सीखा रहे हैं. हम उनके प्रयासों की तहे दिल से तारीफ़ करते हैं.