बेशक फ़िल्में कितना भी बातों को बढ़ा-चढ़ा का दिखाती हों, पर कुछ सच्चाई को भी दर्शा ही जाती हैं. अब जैसे आपको वो फ़िल्में, तो याद ही होगीं, जिनमें ईमानदार अफ़सर का एक शहर से दूसरे शहर तबादला होता रहता है.
अगर आप सोचते हैं कि ऐसा सिर्फ़ फ़िल्मों में ही हो सकता है, तो थोड़ा ठहरिये क्योंकि आज हम आपको एक ऐसे अफ़सर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे ईमानदारी के बदले तबादलों का तोहफ़ा मिला.
बीते बुधवार हरियाणा के सरकारी दफ़्तर में कई अफ़सरों के तबादले देखने को मिले. तबादलों की इस फ़ेहरिस्त में एक नाम वरिष्ठ अधिकारी प्रदीप कासनी का भी था, जिन्होंने 33 साल की सर्विस में करीब 68 तबादले देखे हैं. इनमें से 13 ट्रांसफर हाल ही चुन कर आई BJP सरकार में हुए हैं. हाल ही में प्रदीप का तबादला खादी ग्राम उद्द्योग में किया गया है.

सितम्बर 2016 के दौरान 1997 बैच के IAS अफ़सर प्रदीप का एक महीने के अंदर तीन बार ट्रांसफर किया गया था. उनके तबादले जहां राज्य सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते हैं, वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भ्रष्टाचार मुक्त भारत के दावों को भी कटघरे में खड़ा करते हैं.
प्रदीप पहले ऐसे अफ़सर नहीं है, जिन्हें उनकी ईमानदारी का तोहफ़ा ट्रांसफर के रूप में मिला है, उनसे पहले IAS अफ़सर अशोक खेमका भी इस दंश को झेल चुके हैं.