रिपब्लिक टीवी के पत्रकार अर्नब गोस्वामी और स्टैंड अप कॉमेडियन कुनाल कामरा मामला बढ़ता ही जा रहा है. ‘इंडिगो एयरलाइंस’ के बाद अब एयर इंडिया, इंडियन एयरलाइन्स, स्पाइस जेट और गो एयर ने भी कुनाल की यात्रा पर बैन लगा दिया है.
कुनाल कामरा ने जिस तरह अर्नब को निशाना बनाते हुए उनसे कुछ तीखे सवाल पूछे और फ़्लाइट में उनका वीडियो बनाया. इसको लेकर सोशल मीडिया पर लोग काफ़ी लोगों की राय बंटी हुई नज़र आयी. कुछ लोगों ने कुनाल की आलोचना की तो कुछ ने इसे सही बताया.
Hereby, we wish to advise our passengers to refrain from indulging in personal slander whilst onboard, as this can potentially compromise the safety of fellow passengers. 2/2@MoCA_GoI @HardeepSPuri
— IndiGo (@IndiGo6E) January 28, 2020
बीते मंगलवार को ख़ुद नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ट्वीट कर कुणाल कामरा के व्यवहार को ‘भड़काने वाला’ बताया था. इस दौरान उन्होंने अन्य विमान कंपनियों से भी कुनाल पर बैन लगाने के आदेश दिए थे.
Offensive behaviour designed to provoke & create disturbance inside an aircraft is absolutely unacceptable & endangers safety of air travellers.
— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) January 28, 2020
We are left with no option but to advise other airlines to impose similar restrictions on the person concerned. https://t.co/UHKKZfdTVS
कुणाल कामरा पर अर्नब मामले में लगे बैन के बाद अब हवाई यात्रा नियमों को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है. लेकिन सवाल ये उठता है कि किसी विमान कंपनी के एक यात्री पर इस किस्म के बैन के बारे में, नियम-क़ानून क्या कहते हैं?
दरअसल, भारत की सभी विमान कंपनियां ‘नागरिक उड्डयन मंत्रालय’ के अंतर्गत आने वाले नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) के बनाए नियमों के अनुसार ही काम करती हैं.
क्या हैं भारत में हवाई नियम?
1- डीजीसीए के अनुसार अगर कोई यात्री विमान में किसी अन्य यात्री से मारपीट करता है, उसे धमकाता है या डांटता है, तो एयरक्राफ़्ट रूल-161 के तहत उसे 1 साल की जेल हो सकती है. अगर ऐसी कोई घटना विमान के पायलट या फिर चालक दल के किसी क्रू मेंबर्स के साथ होती है, तो इसे अधिक सख़्ती से लिया जाएगा.
डीजीसीए के दिशा-निर्देशों के मुताबिक़ ‘कुनाल ने उड़ान के दौरान वीडियो बनाकर नियमों का उल्लंघन किया’ क्योंकि उड़ान के दौरान किसी की निजता का हनन करना, वीडियो बनाना या उसे असहज करना नियमों का उल्लंघन माना जाता है.
हालांकि, डीजीसीए के इन्हीं नियमों के तहत बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई होनी चाहिए थी, लेकिन हुई नहीं. साध्वी ने भी फ़्लाइट को क़रीब 1 घंटा लेट करके डीजीसीए के नियमों का उल्लंघन किया था.
2- डीजीसीए के नियमों के मुताबिक़, अगर कोई यात्री हवाई अड्डे पर खड़े विमान के इन नियमों का उल्लंघन करता है, जैसे चालक दल के किसी सदस्य या पायलट के साथ दुर्व्यवहार, तो उनकी शिक़ायत पर यात्री को गिरफ़्तार भी किया जा सकता है.
साल 2017 में इसी तरह का एक मामला सामने आया था, जब शिवसेना सांसद रवींद्र गायकवाड़ पर ‘एयर इंडिया’ के एक कर्मचारी पर चप्पल से हमला करने के आरोप लगे थे. इसके बाद फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन एयरलाइंस (एफ़आईए) ने उनकी यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया था.
3- पायलट या क्रू मेंबर्स के साथ यात्रियों द्वारा दुर्व्यवहार को लेकर भी कुछ नियम बने हैं. इसके तहत पासपोर्ट नंबर या फिर आधार नंबर से ऐसे यात्रियों की पहचान कर उनकी एक लिस्ट तैयार की जाती ताकि वो किसी भी विमान में यात्रा ना कर सकें. डीजीसीए द्वारा ये लिस्ट सभी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सेवाएं देने वाली विमान कंपनियों को दी जाती हैं.
4- डीजीसीए के नियमों के मुताबिक़ घरेलू उड़ानों में ग़लत बर्ताव करने वाले यात्रियों पर 3 महीने से लेकर 2 साल तक का प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव है. इसका फैसला ख़ुद विमान कंपनी लेती हैं.
सरकार ने इन नियमों को तीन श्रेणियों में बांटा है
पहली श्रेणी में ‘मौखिक दुर्व्यवहार’ को रखा गया है जिसके लिए यात्री पर 3 महीने तक का ट्रैवल बैन लग सकता है.
डीजीसीए के नियमों के तहत अगर किसी यात्री के ख़राब व्यवहार की शिक़ायत फ़्लाइट के पायलट के माध्यम से आती है तो इस मामले में एयरलाइन कंपनी की आंतरिक कमेटी इसकी जांच करती है. इस कमेटी में कोई रिटायर्ड सेशन जज, किसी अन्य विमान कंपनी का प्रतिनिधि या यात्रियों की एसोसिएशन के किसी सदस्य का होना अनिवार्य है.
यात्री अपना पक्ष कैसे रख सकते हैं?
इस दौरान अगर यात्री अपने ख़िलाफ़ हुई शिक़ायत को चुनौती देता है तो आंतरिक कमेटी को 30 दिन के भीतर फ़ैसला लेना होता है. साथ ही ये भी बताना होता है कि यात्री पर कितने समय का बैन होना चाहिए. जब तक कमेटी का फ़ैसला नहीं आ जाता, एयरलाइन कंपनी उस यात्री को अपने विमानों में चढ़ने से रोक सकती हैं.
कुनाल कामरा के मामले की बात करें, तो डीजीसीए के नियमों के मुताबिक़ अगर कोई एक विमान कंपनी किसी यात्री को बैन करती है, तो ये ज़रूरी नहीं कि अन्य विमान कंपनियां भी उस यात्री को बैन करे.
हालांकि, यात्रियों के बैन की अवधि निर्धारित न होने पर कई विशेषज्ञ डीजीसीए के इन नियमों की आलोचना भी कर चुके हैं. क्योंकि ऐसे मामलों में कंपनी की मर्ज़ी पर ये निर्णय छोड़ दिया जाता है.