दिल्ली की आबो-हवा से पूरा देश वाकिफ़ है. प्रदूषण का स्तर यहां विश्व के कई शहरों से काफ़ी ज़्यादा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2020 तक देश की राजधानी का भूमिगत जल भी ख़त्म हो जाएगा.


एक रिपोर्ट के मुताबिक यमुना के किनारे(यमुना फ़्लड प्लेन) उगने वाली सब्ज़ियों में भारी मात्रा में लेड पाया जाता है. ऐसी सब्ज़ियों का ज़्यादा दिनों तक खाने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां भी हो सकती है. National Engineering Research Institute को अपनी एक स्टडी में ये ख़तरनाक रिज़ल्ट्स मिले हैं.   

Economic Times

रिपोर्ट्स के अनुसार इन सब्ज़ियां की सप्लाई आज़ादपुर, ग़ाज़ीपुर और ओख़ला की मंडियों में की जाती है. इन मंडियों से ही पूरे शहर की सब्ज़ियां ख़रीदी जाती हैं.


सबसे ज़्यादा लेड दिल्ली के गीता कॉलोनी के धनिया पत्ती से मिला. पत्तगोभी के अलावा, हर सब्ज़ी में लेड, खतरे के निशान से ऊपर ही पाया गया. पालक में सबसे ज़्यादा (14.1mg/Kg) लेड पाया गया.  

Hindustan Times

Food Safety and Standards (FSSAI) ने सब्ज़ियों में लेड की मात्रा 2.5mg/Kg तय की है.


National Engineering Research Institute द्वारा इकट्ठा किए गए सैंपल्स में ये मात्रा 2.8mg/Kg से 13.8mg/Kg पाई गई. 

NEERI के सीनियर प्रींसिपल वैज्ञानिक के शब्दों में,   

7 तरह की सर्दियों की सब्ज़ियों के सैंपल, दिल्ली के अलग-अलग इलाकों (उसमानपुर, मयूर विहार, गीता कॉलोनी) से इकट्ठा किए गए. इनमें लेड, मर्करी, निकल, कैडमियम की मात्रा की जांच की गई. लेड की मात्रा सबसे ज़्यादा पाई गई, बाक़ी धातुओं की मात्रा तय लिमिट के अंदर ही थी.

-एस.के.गोयल

ये स्टडी फरवरी 2019 में की गई. NGT(National Green Tribunal) की एक कमेटी ने NEERI को ये जांच करने के निर्देश दिए थे.  

लेड के सोर्स ऑटोमोबाइल पार्ट्स, बैट्री, पेंट या पॉलिथीन हो सकते हैं. 

-एस.के.गोयल

Financial Express

स्टडी की रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि Heavy-Metal के ज़हर से हमारे शरीर का एनर्जी लेवल कम हो सकता है. इससे हमारे दिमागड, फेफड़ों, किडनी और लिवर को भी नुकसान हो सकता है.


यमुना नदी का सिर्फ़ 2% हिस्सा ही दिल्ली से होकर गुज़रता है पर नदी का 70% प्रदूषण दिल्ली से ही आता है. 2015 में NGT ने यमुना के तट पर सब्ज़ियों की खेती पर रोक लगा दी थी पर आज भी वहां सब्ज़ियां उगाई जा रही है.   

Delhi Peasants Multi-purpose Society के प्रेसिडेंट, दलबीर सिंह के अनुसार, पुसा स्थित Indian Agricultural Research Institute(IARI) में सब्ड़ियों की जांच होती रहती है. यहीं के वैज्ञानिक इस समस्या का समाधान निकला सकते हैं.