दिल्ली की आबो-हवा से पूरा देश वाकिफ़ है. प्रदूषण का स्तर यहां विश्व के कई शहरों से काफ़ी ज़्यादा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2020 तक देश की राजधानी का भूमिगत जल भी ख़त्म हो जाएगा.

रिपोर्ट्स के अनुसार इन सब्ज़ियां की सप्लाई आज़ादपुर, ग़ाज़ीपुर और ओख़ला की मंडियों में की जाती है. इन मंडियों से ही पूरे शहर की सब्ज़ियां ख़रीदी जाती हैं.

Food Safety and Standards (FSSAI) ने सब्ज़ियों में लेड की मात्रा 2.5mg/Kg तय की है.
7 तरह की सर्दियों की सब्ज़ियों के सैंपल, दिल्ली के अलग-अलग इलाकों (उसमानपुर, मयूर विहार, गीता कॉलोनी) से इकट्ठा किए गए. इनमें लेड, मर्करी, निकल, कैडमियम की मात्रा की जांच की गई. लेड की मात्रा सबसे ज़्यादा पाई गई, बाक़ी धातुओं की मात्रा तय लिमिट के अंदर ही थी.
-एस.के.गोयल
ये स्टडी फरवरी 2019 में की गई. NGT(National Green Tribunal) की एक कमेटी ने NEERI को ये जांच करने के निर्देश दिए थे.
लेड के सोर्स ऑटोमोबाइल पार्ट्स, बैट्री, पेंट या पॉलिथीन हो सकते हैं.
-एस.के.गोयल

स्टडी की रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि Heavy-Metal के ज़हर से हमारे शरीर का एनर्जी लेवल कम हो सकता है. इससे हमारे दिमागड, फेफड़ों, किडनी और लिवर को भी नुकसान हो सकता है.
Delhi Peasants Multi-purpose Society के प्रेसिडेंट, दलबीर सिंह के अनुसार, पुसा स्थित Indian Agricultural Research Institute(IARI) में सब्ड़ियों की जांच होती रहती है. यहीं के वैज्ञानिक इस समस्या का समाधान निकला सकते हैं.