स्टूडेंट लाइफ़ में आप सभी ने ‘न्यूटन के गति के सिद्धांत’ तो पढ़े ही होंगे. इंग्लिश मीडियम वालों के लिए ‘Newton’s law of Motion’. अब ठीक है. दरअसल, सर न्यूटन ने गति (Motion) के 3 नियमों के बारे में बताया था कि ये किस तरह से काम करते हैं.
चलिए अब आगे बढ़ते हैं…
इस बीच शिमला के शोधकर्ता अजय शर्मा ने कहा कि ‘न्यूटन के गति के तीसरे नियम’ को संशोधित किया जा सकता है क्योंकि ये ‘अपूर्ण’ है. मतलब सर न्यूटन को खुली चुनौती. अजय शर्मा का कहना है कि इस नियम के तहत क्रिया, प्रतिक्रिया के बराबर, कम या फिर अधिक हो सकती है.
IANS बातचीत में अजय कहते हैं कि, मैंने ‘न्यूटन के गति के तीसरे सिद्धांत’ में कुछ ख़ामियां ढूंढ निकाली हैं. मुझे तीसरे सिद्धांत में संशोधन और इसमें पाए गए अनछुए पहलुओं को साबित करने का मौक़ा मिले तो मैं निश्चित रूप से भारत को विश्व गुरु बना सकता हूं.
अगर सरकार रिसर्च के लिए 10 से 12 लाख रुपये और लैब की सुविधा प्रदान करे तो मैं न्यूटन के गति तीसरे सिद्धांत चुनौती दे सकता हूं.
कौन हैं अजय शर्मा?
हिमाचल प्रदेश के शिक्षा विभाग में सहायक निदेशक 57 वर्षीय अजय शर्मा पिछले 37 सालों से अपने खर्च पर आइंस्टीन, न्यूटन और आर्किमिडीज के सिद्धांतों पर रिसर्च कर रहे हैं. वो ‘बियॉन्ड न्यूटन एंड आार्किमीडिज’ नाम की एक किताब भी प्रकाशित कर चुके हैं. इस किताब में आधारभूत नियमों की आलोचनात्मक विवेचना की गई है.
अजय शर्मा ने भौतिक विज्ञान की कुंजी कही जाने वाली न्यूटन की किताब ‘द प्रिंसीपिया’ का हवाला देते हुए कहा, इस किताब से पता चलता है कि ‘न्यूटन के गति गति का दूसरा नियम’ जिस रूप में स्कूलों में पढ़ाया जा रहा है, न्यूटन ने उस रूप में दिया ही नहीं था. न्यूटन की गति का पहला और तीसरा नियम वैसे ही पढ़ाए जा रहे हैं जैसे न्यूटन ने दिये थे.