‘उन्नाव’… उत्तर प्रदेश के इस शहर का नाम शायद एक बार में देश के लोग याद न कर पाएं.


अब अगर ‘उन्नाव रेप’ कहें तो शायद इस शहर को जानने वाले लोगों की संख्या बढ़ जाए. यहां उसी सर्वाइवर की बात हो रही है जो अपने रिश्तेदारों, वक़ील समेत 28 जुलाई को एक ‘दुर्घटना’ का शिकार हो गईं. सर्वाइवर ने इस दुर्घटना में अपनी चाची और मौसी को खो दिया. अभी भी उसकी हालत नाज़ुक बताई जा रही है.  

Hindustan Times

इसके बाद देश के कई लोगों का गुस्सा सत्ता पार्टी पर फूट पड़ा कि आख़िर वो क्यों एक रेप के ‘आरोपी’ विधायक को शह दे रहे हैं. आनन-फ़ानन में आरोपी विधायक, कुलदीप सिंह सेंगर को पार्टी से निकाल दिया गया, मीडिया रिपोर्ट्स तो यही कहती रहीं.

Indian Express

पर लगता है ये भी कोई ‘ब्लैंकेट डिसीज़न’ यानी की सिर्फ़ ‘दिखावा भर ही था. देश के एक बहुत बड़े मीडिया हाउस (HT Media Pvt Ltd) के हिन्दी दैनिक, ‘हिन्दुस्तान’ ने 15 अगस्त, 2019 के पहले पन्ने पर सेंगर की तस्वीर लगाई है.  

ये विज्ञापन किसने दिया, ये तो पता नहीं पर प्रधानमंत्री मोदी, मुख्यमंत्री योगी और गृह मंत्री शाह की तस्वीरों के ठीक नीचे सेंगर की तस्वीर वाला विज्ञापन छपवाया गया.


Google पर Hindustan e-Paper ढूंढने पर किसी को भी पता चल जाएगा कि ये उन्नाव संस्करण का पहला पन्ना है.  

हिन्दुस्तान अख़बार के बारे में कुछ बातें 

1. Wikipedia पेज बताती है कि हिन्दुस्तान अख़बार के उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, दिल्ली से 21 एडीशन निकलते हैं.


2. Live Mint की 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार, ये अख़बार बिहार, झारखंड और उत्तराखंड का नंबर 1 अख़बार है. 

3. Exchange 4 Media की मई, 2019 की एक रिपोर्ट की मानें तो हिन्दुस्तान देश का दूसरा सबसे बड़ा अख़बार है. बिहार में इसके 16 लाख से ज़्यादा और उत्तर प्रदेश में 28 लाख से ज़्यादा पाठक हैं. 

वैसे तो ये विज्ञापन उन्नाव एडीशन में लगाया गया है पर क्या ये एक नंबर 1 अख़बार को शोभा देता है?  

हमारे कुछ सवाल 

– देश के इतने लोकप्रिय अख़बार को ऐसी क्या मजबूरी आ गई कि रेप और हत्या के ‘आरोपी’ की तस्वीर के साथ स्वतंत्रता दिवस और राखी के त्यौहार की बधाईयां देनी पड़ी?


– क्या अब ये अख़बार इस पूरी घटना पर कुछ भी लिख पाएगा?  

– इतने सारे पाठकों के सामने ये किस तरह का संदेश देना चाहते थे? 

बीजेपी पर भी उठेंगी उंगली 

जिस व्यक्ति पर रेप और हत्या जैसे संगीन अपराधों का केस चल रहा हो क्या उसकी तस्वीर विज्ञापन में छपवाना शोभनीय है? जिस तरह छाती पीट-पीटकर ये सफ़ाई दी गई थी कि सेंगर को 2018 में ही पार्टी से निकाल दिया गया था तो पार्टी के सम्मानीय, बड़े नेताओं के साथ उनकी छवि लगाकर वो जनता से क्या कहना चाहते हैं. या हम ये मान लें कि विरोधियों का ‘सत्ता पार्टी रेपिस्ट्स को शह देती है’ वाले डायलॉग को सच मान लिया जाए? 

हिन्दुस्तान अख़बार कि तरफ़ से इस मामले पर कोई सफ़ाई नहीं आई है.