एक ओर देश में जहां ‘असहिष्णुता’ को लेकर बहस जारी है, वहीं यूपी के बरेली में सांप्रदायिक सद्भभावना की एक अनूठी मिसाल देखने को मिली है. मुस्लिम व्यक्तियों के एक ग्रुप ने जेल में मामूली अपराधों में बंद 15 हिंदू क़ैदियों के लिए वह काम किया जो उनके परिवार वाले भी नहीं कर पाए.

इन्हें छुड़ाने के लिए इस मुस्लिम ग्रुप ने जुर्माना के 50 हजार रुपए चंदे में जुटाए. इन सभी को बिना टिकट यात्रा करने जैसे छोटे-मोटे अपराधों की वजह से जेल में बंद किया गया था. जुर्माने की रकम न दे पाने की वजह से इन्हें उसके बदले जेल में रह कर सज़ा भुगतनी पड़ रही थी.

जेल से छूटे क़ैदियों में से एक नंद किशोर ने अपने हिस्से की सज़ा पूरी कर ली थी, लेकिन जुर्माने के रु.1000 न दे पाने पर उसे अतिरिक्त सज़ा भुगतनी पड़ रही थी. जेल से निकलते ही ही इस ग्रुप के संयोजक हाजी यासीन कुरैशी और उनके साथियों ने नंद किशोर का गले लगा कर स्वागत किया.

वर्तमान में हिन्दू-मुस्लिम एकता पर कई प्रहार हुए हैं, लेकिन समाज में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो गंगा-जमुना तहज़ीब को बनाए रखना चाहते हैं. आज देश में ऐसे ही लोगों की ज़रूरत भी है. हाजी यासीन कुरैशी की इस कोशिश को हमें सलाम करना चाहिए और कुछ सीखना चाहिए.