पिछले सप्ताह पाकिस्तान से 56 हिंदु तीर्थ यात्रियों का एक समूह भारत आया था. ये सभी लोग अब पाकिस्तान वापस लौटने को तैयार नहीं है. इन्होंने भारत सरकार से अपने टूरिस्ट वीज़ा की अवधि बढ़ाने और सीएए के तहत नागरिकता देने की गुहार लगाई है. ये सभी यात्री फ़िलहाल उत्तराखंड के हरिद्वार ज़िले में ठहरे हैं. 

इन यात्रियों का कहना है कि वो भारत में भीख मांग लेंगे, मज़दूरी कर लेंगे पर वापस नहीं लौटेंगे. इन्हीं में से कराची से आए एक तीर्थ यात्री नारायण दास ने कहा– ‘पाकिस्तानी सरकार ने उन्हें ज़्यादा पैसे लाने की अनुमति नहीं दी. उन्हें शक़ था कि हम वापस नहीं लौटेंगे. वहां पर हमारी स्थिति बहुत ही दयनीय है. वहां हमारा उत्पीड़न होता है. हमारा सबकुछ छिन गया. हमने भारत सरकार से शरण देने की गुहार लगाई है.’ 

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इन्हीं में शामिल एक अन्य यात्री ने कहा- ‘वहां पर हमारे परिवार की महिलाओं को बाज़ार में बेइज़्ज़त किया जाता है. बहू-बेटियों की आबरू सुरक्षित नहीं है. वहां पर हालात मौत से भी बदतर हैं. वहां की सरकार पर हमें भरोसा नहीं है. हमें भारत सरकार द्वारा पास किए गए नए सीएए के क़ानून से ही कुछ उम्मीद है.’

इन लोगों के हालात जानने के बाद हरिद्वार में रहने वाले स्थानीय लोग इनकी मदद के लिए सामने आए हैं. उन्होंने इनके लिए खाना, कपड़े और आगे की यात्रा के लिए चंदा इकट्ठा कर उन्हें दिया है. वहीं राज्य सरकार के अधिकारियों ने इस पर अभी कुछ कमेंट करने से इंकार कर दिया है. उनका कहना है कि जब इनकी तरफ से नागरिकता पाने के लिए आवेदन किया जाएगा, तब कुछ किया जाएगा.

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ग़ौरतलब है कि उत्तराखंड में पाकिस्तान से आए ऐसे सैंकड़ों हिंदु शरणार्थी रह रहे हैं. ये राज्य के देहरादून, हरिद्वार और उधम सिंह नगर इलाकों में बसे हैं. इसी साल राज्य सरकार ने इनमें से 200 शरणार्थियों की पहचान की है, जिन्हें नए क़ानून के तहत नागरिकता देने का विचार किया जा रहा है.

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