अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह ने पिछले दिनों खूब सुर्खियां बटोरी हैं. टीवी के बड़े स्टार और अरबपति डोनाल्ड ट्रंप ने बीते शुक्रवार रात अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. लेकिन जहां ट्रंप के राष्ट्रपति बनने को लेकर अमेरिका और कई देशों में औरतें प्रदर्शन कर रही थी वहीं व्हाइट हाउस में भी काफी दिलचस्प दृश्य देखने को मिल रहे थे. दरअसल, कई धार्मिक गुरुओं के साथ ही साथ एक हिंदू पंडित भी वहां मौजूद थे, जिन्होंने ट्रंप के राष्ट्रपति समारोह में प्रार्थना और अर्चना भी की.

अमेरिका के इतिहास में शायद ऐसा पहली बार था जब किसी हिंदू धर्माचार्य को राष्ट्रपति शपथ ग्रहण समारोह के दौरान पूजा और प्रार्थना के लिए बुलाया गया था. नारायणचर एल दिगालाकोटा नाम के ये पुजारी अमेरिका के शहर में मैरीलैंड के श्री शिव विष्णु मंदिर के पुजारी है और इन्होंने वाशिंगटन की नेशनल प्रेयर सर्विस में अपनी सेवाएं दी. नेशनल प्रेयर सर्विस में लोग साथ मिलकर भजन और प्रार्थना करते हैं. इस दौरान राष्ट्रपति के साथ-साथ अमेरिका के उप-राष्ट्रपति भी मौजूद थे.

दिगालाकोटा के साथ ही बिशप हैरी जैक्सन नाम के पादरी और कुछ धर्मगुरु भी वहां मौजूद थे. राष्ट्रपति शपथ समारोह के दौरान प्रार्थना की ये परंपरा आज से लगभग 86 साल पुरानी है. 1933 में जब अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन थे तब इस परंपरा को शुरु किया गया था और अब तक सात बार ऐसा किया जा चुका है.

ट्रंप इससे पहले भी हिंदुओं की तारीफ़ कर चुके हैं. उन्होंने कहा था कि विश्व सभ्यता और अमेरिका के कल्चर में हिंदू समुदाय का बेहतरीन योगदान है. ट्रंप ने अपने शपथ ग्रहण के दौरान कई ऐेसे संकेत दिए जिससे लगा कि भारत और अमेरिका के बीच एक नया अध्याय शुरु हो सकता है और मजबूत विदेश नीति पर ट्रंप का बयान इसका एक उदाहरण भर है.

ट्रंप ने इसके अलावा ये भी कहा था कि भारतीय और हिंदू समाज के पास ट्रंप के रूप में एक सच्चा दोस्त है. खास बात ये है कि ट्रंप ने एक चैरिटी इंवेट का भी आयोजन किया था, जिसमें कश्मीरी पंडितों और बांग्लादेशी हिंदू शरर्णार्थियों के लिए पैसे जुटाए गए थे. ट्रंप को उम्मीद है कि वे अपने कार्यकाल में भारत और अमेरिका के रिश्तों को एक नई ऊंचाई प्रदान करेंगे.

गौरतलब है कि डॉनल्ड ट्रंप इससे पहले पीएम मोदी की तारीफों में भी कसीदे पढ़ चुके हैं. वे भारत के साथ रिश्ते मजबूत करने को लेकर भी काफी लालायित दिखे. शपथ समारोह में जिस अंदाज में उन्होंने भाषण दिया, उससे उम्मीद जगी है कि ट्रंप एक विघटनकारी नेता के रूप में नहीं, बल्कि अमेरिका के सभी समुदायों को ध्यान में रखते हुए अपने फैसले लेंगे.