चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दो दिवसीय यात्रा पर भारत आए हुए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात ऐतिहासिक शहर महाबलीपुरम में हो चुकी है. खास बात यह है कि दो देशों के राष्ट्र 

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प्रमुख आखिर क्यों चेन्नई से 56 किलोमिटर दूर एक पुराने शहर में ही मिल रहे हैं. इसका जवाब आपको इतिहास के पन्नों में मिलेगा, जिसे यहां भी पढ़ सकते हैं. 

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चीन और महाबलीपुरम का रिश्ता क़रीब 1300 साल पुराना है. इतिहासकार बताते हैं कि पल्लव वंश के चीन के साथ व्यापारिक और सामरिक रिश्ते थे. खुदाई के दौरान ऐसे कई सिक्के मिले, जिन पर चीनी निशान बने थे.  

जब 630-668 ईस्वी में पल्लव वंश के राजा नरसिम्हावर्मन-1 राजगद्दी संभाल रहे थे तब चीनी बौद्ध यात्री ह्वेनसांग पल्लव वंश की राजधानी कांचीपुरम आए थे. तमिल और चीनियों के बीच अच्छे संबंध आगे चोल वंश में भी कायम रहे. नौवीं शताब्दी में जब मुसलमान भारत आए, उन्होंने भी चोल वंश की तरह ही चीन के साथ व्यापारिक रिश्ते मजबूत किए.  

महाबलीपुरम में चीन के राष्ट्रपति के स्वागत के लिए भव्य द्वार बनाया गया और 20 किलोमीटर के दायरे में सुरक्षा के ख़ास प्रबंध किए गए. चीनी राष्ट्रपति महाबलीपुरम के तीन प्रमुख ऐतिहासिक धरोहर का मुआयना करेंगे.