हाल ही में राष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाले अभिनेता अक्षय कुमार अपनी आने वाली फ़िल्म को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं. ‘टॉयलेट एक प्रेम कथा’ नाम की ये फ़िल्म भारत में शौचालय की सामाजिक समस्या पर प्रकाश डालती है. उन्होंने इसी सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी.

Bizasialive

अक्षय ने पीएम मोदी के साथ ट्विटर पर इस मुलाकात की एक तस्वीर भी शेयर की थी. ये फ़िल्म देश में स्वच्छता के लिए शौचालय की जरूरत पर जोर देती है. गौरतलब है कि स्वच्छता अभियान आज भी पीएम मोदी के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स में से एक माना जाता है. साफ़- सफ़ाई की अपील से लेकर, कई आयोजनों तक केंद्र सरकार इस अभियान को काफ़ी तरजीह देती रही है. लेकिन क्या स्वच्छ भारत अभियान का ये नारा अपनी मंजिल तक पहुंच पाया है ?

सरकार की ही नहीं, समाज की भी भागीदारी

स्वच्छता अभियान की शुरुआत प्रधानमन्त्री ने महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर 2014 से की थी. स्वच्छ भारत अभियान को सन् 2019 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. विश्व बैंक ने डेढ़ अरब डॉलर का ऋण भारत के स्वच्छता अभियान के लिए मंजूर किया है. सहभागिता की दृष्टि से यह देश का सबसे बड़ा अभियान है, जिसमें केन्द्र सरकार और उसके मन्त्रालय, राज्य सरकारें, तमाम राजनीतिक दल, गैर सरकारी संगठन ही नहीं बल्कि देश के हर व्यक्ति की भागीदारी है. इस पूरे अभियान में शौचालयों का निर्माणों को सबसे अहम माना गया है.

Blogspot

चौंकाते हैं ये आंकड़े

देश में लोगों का खुले में शौच करना एक बड़ी समस्या है. भारत में 72 प्रतिशत से ज़्यादा ग्रामीण लोग शौच के लिए झाड़ियों के पीछे, खेतों में या सड़क के किनारे जाते हैं. इससे कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जैसे बच्चों की असमय मौत, संक्रमण और बीमारियों का फ़ैलना. इसके अलावा सुनसान स्थान पर शौच के लिए गई युवतियों से रेप की भी घटनाएं सामने आती रही हैं. 

Thebetterindia

1 अरब से ज़्यादा आबादी वाले देश में करीब 600 मिलियन लोग यानि 55 प्रतिशत लोगों के पास शौचालय तक नहीं है. जिन ग्रामीण इलाकों में शौचालय है वहां भी पानी की उपलब्धता बेहद कम है. शहरों की झुग्गी में रहने वाले लोगों के पास न तो पानी की आपूर्ति है न ही शौचालयों की सुविधा.

ये कोई पहला अभियान नहीं

यूपीए सरकार ने साल 1999 में निर्मल भारत अभियान शुरू किया था. इस अभियान में साल 2012 तक Universal घरेलू स्वच्छता का लक्ष्य स्थापित किया गया था. ये साल 1991 में शुरू किए गए टोटल सेनिटेशन केंपेन का अभिन्न हिस्सा था. हालांकि निर्मल भारत अभियान अपने लक्ष्य को हासिल ना कर सका. निर्मल भारत अभियान को वर्तमान सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान में बदलकर पेश किया है. इसका लक्ष्य भारत में खुले में शौच की समस्या को रोकना, हर घर में शौचालयों का निर्माण करना, पानी की आपूर्ति करना और ठोस और तरल कचरे का उचित तरीके से खात्मा करना है.

Navodayatimes

इस अभियान में सड़कों और फ़ुटपाथों की सफाई, अनाधिकृत क्षेत्रों से अतिक्रमण हटाना शामिल हैं. इसके अलावा इस अभियान में लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरुक करना भी शामिल हैं. शौचालय बनाने के लिए पूरे देश में बजट एक ज़रुरी मुद्दा था. इसके अलावा 5 साल में 11 करोड़ टॉयलेट बनाने का टारगेट रखा गया है. स्वच्छ भारत मिशन की वेबसाइट के मुताबिक 2 अक्टूबर 2014 से अब तक देश में करीब 4 करोड़ टॉयलेट बनाए जा चुके हैं और अभी इस अभियान में लंबा सफ़र तय किया जाना बाकी है.