कोरोना को दुनिया भर में आतंक मचाते महीनों बीत चुके हैं. ज़्यादातर देश लॉकडाउन से बाहर निकलने की प्रक्रिया में हैं. लेकिन कोरोना के संक्रमण के मामले और उससे होने वाली मौतें रोज़ नया आंकड़ा लिख रही हैं. इन सब के बीच अब घरेलू हवाई यात्रा शरू हो चुकी है और अंतराष्ट्रीय उड़ाने भी शुरू होने को हैं. 

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क्योंकि हवाई यात्रा का दुनिया के सुदूर देशों तक कोरोना वायरस के प्रचार-प्रसार में अहम हाथ रहा है, तो ऐसे में ‘हवाई यात्रा’ का सवालों के घेरे में आना लाज़मी है. सवाल ये है कि अभी हवाई यात्रा कितनी ख़तरनाक है, सुरक्षा के लिए विमानन उद्योग क्या क़दम उठा रहा है, क्या ये क़दम कारगर हैं, और आगे चलकर कितना बदल जाएगा हवाई यात्रा का स्वरुप?

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1. वर्तमान स्थिति 

COVID-19 संकट से एयरलाइन्स की हालत बहुत ख़राब है. बिज़नेस बहुत हद तक ठप्प है और नुक़सान काफ़ी हुआ है. फ़िलहाल एयरलाइन्स ने संक्रमण से बचाव के लिए कई उपाय किये हैं, जैसे कि मास्क, फ़ेस शील्ड, PPE किट का इस्तेमाल, हवाई अड्डों पर अनिवार्य तापमान जांच, डिसइंफ़ेक्शन बूथों से गुज़रना, कम से कम स्पर्श, इत्यादि. इन सब के बावज़ूद कई फ्लाइट्स में कोरोना वायरस फ़ैलने की हालिया घटनाओं ने बता दिया है कि सबकुछ इतनी जल्दी ‘नार्मल’ नहीं होने वाला.

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2. हवाई यात्रा स्वास्थ्य के लिए कितना बड़ा ख़तरा?

14वीं शताब्दी में ब्लैक डेथ और 20वीं शताब्दी की शुरुआत में स्पेनिश फ़्लू के वैश्विक महामारी बन जाने के पीछे जो मुख्य वजह गिनाई जाती है- वो है समुद्री यात्रा. जहां ब्लैक डेथ के प्रसार में व्यपारिक समुद्री जहाज़ों का हाथ माना जाता है वहीं स्पेनिश फ़्लू का प्रसार आधुनिक परिवहन सुविधाओं की देन कहा जाता है. 

2002 और 2004 के बीच चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया में SARS महामारी के फ़ैलने में पहली बार हवाई यात्राओं को दोष दिया गया. 
Physical distancing के नियमों के मुताबिक़ हर व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से कम से कम 6 फ़ीट दूर होना चाहिए, जो किसी प्लेन में संभव है नहीं. सच्चाई यही है कि प्लेन में आप घंटों तक एक-दूसरे के आस-पास होते हैं जो कि संक्रमण के ख़तरे को कई गुना बढ़ा देता है.

3. वैश्विक विमानन सेवा देने वाली कंपनिया क्या-क्या उपाय कर रहीं हैं?

एयरपोर्ट से लेकर हवाई जहाज़ की मेन्टेन्स करने तक, सभी जगह अहम बदलाव हो रहें हैं ताकि संक्रमण के जोख़िम को कम से कम किया जा सके.

चेक इन- 

– मास्क अनिवार्य हो चुका है. कुछ देशों में Contact Tracing App अनिवार्य है, कुछ में नहीं. भारत में ये अनिवार्य है.
– यात्रियों के सामान को एक UV Sanitization Booth से गुज़रना होता है. 
– एयरपोर्ट के अंदर Hand Sanitizer और Disinfectant Wipes का उपयोग करते हुए एयरलाइन स्टॉफ़ आपकी चेक इन करने के लिए तैयार मिलेंगे. इनके डेस्क पर शीशे या प्लास्टिक की एक दीवार देखी जा सकती है.
– हालांकि, कुछ कंपनियां अब Touch-Free Self-Service Kiosk अपनाने जा रही हैं ताकि चेक इन पूरी तरह सुरक्षित हो सकें. फ़िलहाल लाइनों में Physical Distancing का पालन करने के लिए मार्किंग का सहारा लिया जा रहा है.

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सुरक्षा जांच- 

यहां कुछ एयरपोर्ट न सिर्फ़ संक्रमण का ख़तरा कम करने की कोशिश कर रहें हैं, बल्कि संक्रमित व्यक्ति की पहचान करने की भी कोशिश कर रहें हैं. इसके लिए अमूमन सभी यात्रियों के तापमान जांच का सहारा ले रहे हैं. हालांकि, बुख़ार सिर्फ़ एक लक्षण है और इससे किसी के कोरोना पॉज़िटिव होने या नहीं होने की कोई पुख़्ता जानकारी नहीं मिलती. जर्मनी की Lufthansa एयरलाइन्स एक क़दम आगे बढ़ाकर यात्रियों की कोरोना जांच भी कर रही है, जिसकी रिपोर्ट चार घंटे में आ जाती है. इसी के साथ Facial Recognition Technology और बायोमेट्रिक टेक्नोलॉजी के ज़रिये यात्रिओं की पहचान और एंट्री को बहुत तेज़ी से अपनाया जा रहा है.    

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गेट एरिया- 

बोर्डिंग से पहले इंतज़ार का समय और आस-पास की दुकानों में टहलते हुए आप अब किसी बीते समय की बात हो सकते हैं. हो सकता है कि आप यहां पर दुकानों में ख़रीदारी अपने फ़ोन में माध्यम से कर पाएं. इन दुकानों से विमानन कंपनियों और एयरलाइन्स को अच्छा-ख़ासा फ़ायदा होता है. ऐसे में इनके बंद होने की संभावना कम ही है. यहां से प्लेन में जाने के लिए लोगों को छोटे-छोटे समूह में निश्चित दूरी का पालन करते हुए एक-एक कर प्लेन के अंदर ले जाया जाने लगा है.

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प्लेन के अंदर- 

– यहां संक्रमण के ख़तरे को कम करने के लिए हर उड़ान से पहले एक Electrostatic Spray किया जाता है जो संपर्क में आने वाले सभी वायरसों को मार सकता है. 
– सबसे पिछली सीट के यात्रियों को सबसे पहले भेजा है, ताकि किसी तरह की जाम की स्थिति न बने. 
– सिंगापुर की एक एयरलाइन ने यात्रियों के हैंड लगेज की सीमा तय करना शरू कर दिया है ताकि उसको ऊपर रखते वक़्त लोगों का तांता न लगे. 
– कुछ एयरलाइन बीच की सीट को ख़ाली रख रही है वहीं कुछ नहीं. कंपनियां बीच के सीट पर डिवाइडर इस्तेमाल करने का सोच रही है या फिर नई सीट डिज़ाइन के तहत बीच की सीट को दूसरी तरफ़ रखने पर विचार कर रही है. 
– कुछ एयरलाइन्स फ्लाइट के अंदर किसी भी तरह का खाना-पीना, मैगज़ीन बंद कर रही हैं तो कुछ पूरी तरह से सीलबंद उत्पाद ही यात्रियों को दे रही हैं.

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हवाई जहाज़ के अंदर बहने और Recycle होने वाली हवा कहीं संक्रमण न फैला दे इसके लिए एयरलाइन्स विमानों में HEPA फ़िल्टर का उपयोग कर रही है. ये वही फ़िल्टर है जिनका इस्तेमाल हॉस्पिटल ICU और इमरजेंसी रूम में होता है. प्रत्येक 2-5 मिनट के अंतराल पर प्लेन के अंदर की हवा, प्लेन की बाहर की हवा से बदल दी जाती है.

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अभी सभी एयरलाइन अपने-अपने स्तर पर प्रयासरत हैं. फ़िलहाल कोई स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल सभी पर लागू नहीं है. फिर भी उम्मीद की जा रही है कि ये जल्द ही सब जगह एक सामान रूप से लागू हो जाएंगे. कोरोना वायरस का ख़तरा जब तक टलता नहीं तब तक हवाई यात्रा के सितारे गर्दिश में लग रहें हैं. मगर अलग-अलग उपायों से ये उद्योग फिर से आसमान छूने की जद्दोजहद में लगा है.

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