अक़्सर लोगों के दिमाग में ये विचार आता है कि जैसे हम सबको देखते हैं, क्या बाकी सब भी हमें वैसे ही देख सकते हैं? या ये कि पृथ्वी के बाकी सारे जीवों को ये दुनिया कैसी दिखती है? ये सवाल आध्यात्म और फ़िलॉसफ़ी वाली नहीं है. हम में से ज्यादातर लोगों ने कभी न कभी इस बारे में सोचा ही है,
ड्रैगनफ़्लाई तेज़ दिमाग की वजह से हर चीज़ को स्लोमोशन में देखता है, सांप गर्म तीज़ों से निकलने वाले तरंगों को देख लेता है. घोड़ा और जे़ब्रा अपनी आंखों की आकार की वजह से आस-पास की चीज़ें सीधे-सीधे देख लेता है.

वैज्ञानिक शोध से ये पता लगा लिया गया है कि पक्षियों को दुनिया कैसी दिखती है. इंसान तीन रंगों को देख सकता है और बाकी रंग उन तीन रंगों के मिश्रण से ही बने होते हैं.

ग्राफ़ में ये तुलना की गई है कि इंसान और पक्षी किन रंगों को देख सकते हैं. इंसान- लाल, हरा और नीला देख सकता है और पक्षी लाल, हरा, नीला और ‘UV’ रंग को देख सकते हैं. ध्यान रहे कि पक्षियों के ग्राफ़ में जिसे ‘UV’ रंग दर्शाया गया है वो एक मनगढ़ंत रंग है ताकि हम इंसान इसे देख सकें. परिभाषा के अनुसार UV Ligh का कोई रंग ही नहीं होता.


Ornithologist Joe Smith ने बताया कि पक्षियों में रंगों को पहचाने की खास क्षमता होती है. मानव रंगों को देख कर कुछ ही जीवों के बीच के लिंग भेद के पहचान सकते हैं. पक्षी 92 प्रतिशत जीवों के लिंग को उसके रंग से ही पहचान लेते हैं.
