देश में लॉकडाउन के दौरान हैदराबाद के शख़्स का वीडियो सामने आया है. कुमार नाम का एक शख़्स मुफ़्त में शराब बांट रहा है. ऐसा करने के पीछे उसने वजह बताई कि काम ख़त्म कर जब वो घर लौट रहा था, तब रास्ते में एक महिला दर्द और ऐंठन से तड़प रही थी. उसे शराब नहीं मिल रही थी. बाद में उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया.
Man distributes free alcohol to labourers (one-peg each) in Hyderabad who desperately needed it. He had some stock left with him and tried to help out people who can’t sustain without alcohol. Good or bad? pic.twitter.com/Z91XkwRVr9
— Nirupam Banerjee (@nirupamban) April 13, 2020
बता दें, ये लोग बेसहारा रास्ते में छोड़ दिए गए हैं. लोग इन्हें शराबी समझकर दुत्कार देते हैं और केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकारों के पास भी इनके लिए कोई चिंताए हैं ना जगह. लेकिन इस हक़ीक़त को समझने की ज़रूरत है. जो लोग शराब की लत का शिक़ार हैं, उन्हें अचानक हुए लॉकडाउन की वजह से और शराब न मिलने से गंभीर परेशानियां हो रही हैं. कुछ लोग बेचैनी, जी मिचलाने और घबराहट का शिकार हैं तो कुछ लोग अन्य ख़तरनाक नशों का सहारा ले रहे हैं.
Financialexpress की 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, देश में क़रीब 16 करोड़ लोग शराब पीते हैं. ज़ाहिर है कि ये एक सर्वे पर आधारित आंकड़ा है. असल संख्या इससे कई ज़्यादा होगी. ख़ासतौर से इसमें बड़ा तबका उन लोगों का है, जो समाज में हाशिए पर अपनी जिंदगी गुज़ार रहा है.
शराबबंदी से हालात सुधरेंगे?
सबसे पहले हमें शराब की लत को नैतिकता के आइने से देखना छोड़ना होगा. इसका मतलब ये नहीं कि शराब की वक़ालत की जा रही है. दरअसल, ये सही और ग़लत की बहस नहीं है. बात उन लोगों की है, जो शराब की लत में इस क़दर डूब चुके हैं कि अचानक उन पर किसी भी तरह की रोक ख़तरनाक है.
हालांकि, शराबबंदी के समर्थन में काफ़ी आवाजें उठती हैं. गुजरात, बिहार, मिज़ोरम और नागालैंड में शराब बंद कर दी गई. लेकिन सब जानते है कि पीने वालों को ये हर जगह मुहैया है. सरकार को राजस्व का नुक़सान होता है और तस्करों को डबल मुनाफ़ा.
घरेलू शराब विनिर्माता कंपनियों के संगठन कनफेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहोलिक बेवरेज कंपनीज (सीआईएबीसी) ने राज्य सरकारों से शराब की बिक्री की अनुमति देने का आग्रह किया है. उनका कहना है कि इस लॉकडाउन के दौरान शराब की बिक्री पर पूर्ण पाबंदी से अवैध और नकली शराब की बिक्री हो रही है और दूसरी तरफ़ सरकारी खजाने पर असर पड़ रहा है.
केरल एक अच्छा उदाहरण
लॉकडाउन के दौरान केरल से एक अच्छा उदाहरण सामने आया है. यहां शराब नहीं मिल पा रही थी, जिसके कारण लत के शिकार कुछ लोगों के आत्महत्या करने की ख़बरें आईं. साथ ही कुछ लोग बीमार रहने लगे. ऐसे में राज्य सरकार ने डॉक्टर्स की ओर से लिखी सलाह पर शराब देने का तय किया.
हालांकि, ये काम मुश्क़िल है क्योंकि बहुत कम ही लोग ऐसे होंगे जो डॉक्टर से लिखित सलाह का इंतज़ाम करवा सकते हैं. ख़ासतौर से कमज़ोर वर्ग के लोग पीछे छूट जाएंगे. मगर ये शुरुआती मॉडल हो सकता है. शराब की बिक्री से राजस्व का बड़ा भाग आता है. ऐसे में ये सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वो शराब के लती लोगों के ट्रीटमेंट के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करे. उन्हें सही सलाह मुहैया हो. साथ ही काल्पनिक आदर्शवाद के चलते अचानक कुछ भी थोपने के बजाय समाज की हक़ीक़त को समझते हुए निर्णय ले. ताकि शराब की लड़खड़ाहट में ज़िंदगी का सहारा ढूंढते ये लोग ख़ुद के पैरों पर मज़बूती के साथ ख़ड़े हो सकें.