बिहार की रहने वाली ज्योति कुमारी उस वक़्त सुर्खियों में आ गई थीं, जब वो लॉकडाउन में अपने घायल पिता को साइकिल पर बैठा कर दिल्ली से बिहार पहुंची थी. उन्होंने मजबूरन 1200 किलोमीटर का सफ़र साइकिल से एक सप्ताह में तय किया था. क्योंकि उनके पास न तो खाने के लिए पैसे बचे थे और न ही किराया देने के. ज्योति ने बताया कि उन्होंने अपनी मां से पिता को सुरक्षित घर पहुंचाने का वादा किया था और अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति के दम पर वो ये कर पाईं.

ज्योति कुमारी ने बताया कि उन्होंने अपनी मां से कहा था कि जब उनके पास दिल्ली में खाने और किराया देने के पैसे नहीं बचेंगे तो वो अपने पिता के साथ सुरक्षित अपने घर वापस आए जाएंगी. अपने इसी वादे को निभाने के लिए ज्योति ने साइकिल द्वारा दिल्ली से दरभंगा तक 1200 किलोमीटर का सफ़र किया था.

gaonconnection

ज्योति का कहना है कि उन्होंने मां से वादा किया था इसलिए वो पीछे नहीं हट सकती थीं. इसलिए वो लॉकडाउन के बीच लाखों प्रवासी मज़दूरों के साथ साइकिल पर ही अपने पिता को लेकर घर की ओर निकल पड़ीं. उन्होंने बताया कि रास्ते में उन्होंने बस चिवड़ा और बिस्कुट खाकर ही गुज़ारा किया था. बीच रास्ते में कई जगह पर कुछ लोगों ने भी उनके लिए खाने-पीने की व्यवस्था की थी.

इस तरह वो धीरे-धीरे 7 दिनों में अपने घर पहुंच सकी थीं. घर पहुंचते ही उन्होंने दाल-भात खाने और ख़ूब सोने की इच्छा जाहिर की थी. हालांकि, मीडिया में छा जाने के कारण उन्हें बहुत कम आराम करने को मिला. ज्योति का कहना है कि वो आगे पढ़ना चाहती हैं. उनकी मदद करने के लिए देश भर से लोग सामने आ रहे हैं.

theprint

बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भी उनकी शिक्षा का भार उठाने का वादा किया है. इसके अलावा फ़ेमस गणितज्ञ और सुपर 30 के संस्थापक आनंद कुमार ने भी उन्हें अपने संस्थान में मुफ़्त आईआईटी/जेईई की परीक्षा की कोचिंग देने का वादा किया है.

ज्योति कुमारी को इस बहादुरी भरे काम के लिए उसे साइकिलिंग फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया से ऑफ़र भी मिल गया है. साइकिलिंग महासंघ द्वारा ज्योति को ट्रायल के लिये आंमत्रित किया गया है. साइकिलिंग फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया के चेयरमैन ओंकार सिंह ने कहा, ‘अगर कक्षा 8 की छात्रा ज्योति कुमारी ट्रायल पास करती है, तो उसे IGI स्टेडियम परिसर में अत्याधुनिक नेशनल साइकिलिंग अकादमी प्रशिक्षु के तौर पर सेलेक्ट किया जाएगा.’

bhaskar

वहीं, ज्योति कुमारी की चर्चा अब अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में भी हो रही है. बीबीसी, द न्यूयॉर्क टाइम्स में खबरें आने के अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति की बेटी इंवाका ट्रंप ने ज्योति की कहानी को शेयर करते हुए इसे खूबसूरत लिखा. हालांकि, इस ट्वीट के लिए उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. 

पूरे देश में लॉकडाउन के कारण प्रवासी मज़दूरों की स्थिति दयनीय है और वो पैदल ही मीलों का सफ़र तय करने को मजबूर हैं. ज्योति की इस कहानी का एक पहलू उसके लिए अच्छी ख़बर लाया है. वहीं दूसरा पहलू देश के मज़दूरों की व्यथा उजागर कर रहा है.   

bhaskar

एक्सपर्ट्स का मानना है कि भले ही लॉकडाउन ने कोरोना वायरस को फैलने से रोका हो मगर इसकी वजह से करोड़ों मज़दूरों के सामने रोज़ी रोटी की समस्या खड़ी हो गई है. वो पहले से भी और ग़रीब हो गए हैं. 
News के और आर्टिकल पढ़ने के लिये ScoopWhoop Hindi पर क्लिक करें.