देश के IAS अधिकारियों ने सुकमा हमले में शहीद हुए जवानों के परिवारों की मदद करने का फैसला किया है. शहीदों के परिवारों को गोद लेकर वो बच्चों की पढ़ाई का भी खर्चा उठाएंगे. आतंकी हमलों और नक्सली हमलों में मारे गए जवानों के परिवारों के लिए ये कदम बड़ी मदद साबित होगा.

सरकार ने इन हमलों के खिलाफ़ कड़ी कार्रवाई की मांग की है और शहीदों के परिवारों को मुआवज़ा देने का ऐलान किया है. IAS अधिकारियों की एसोसिएशन ने ये फ़ैसला किया है कि वो भी शहीदों के परिवारों की सहायता करेंगे. कम से कम 5-10 वर्षों तक वो पूरे परिवार की देखभाल की जिम्मेदारी उठाएंगे.
इंडियन सिविल एंड एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (सेंट्रल) असोसिएशन के सेक्रेटरी संजय भूसरेड्डी ने कहा कि अधिकारी को गोद लिए हुए परिवार को सीधे कोई वित्तीय सहायता देने की ज़रूरत नहीं है. लेकिन वह परिवार को समर्थन और सहायता देगा, ताकि वो सुरक्षा की भावना से जी सकें और उन्हें यह महसूस हो कि मुश्किल समय में देश उनके साथ खड़ा है.

एसोसिएशन ने 2012 से लेकर 2016 के IAS बैच के 600-700 युवा अधिकारियों को अपनी तैनाती वाले क्षेत्रों में से कम से कम एक शहीद परिवार की देखभाल करने को कहा है. ये अधिकारी शहीद परिवारों को प्राथमिकता के आधार पर पेंशन, ग्रेच्युटी, सेवाओं का वितरण जैसे- पेट्रोल पंप, स्कूलों में बच्चों का दाखिला आदि में मदद करेंगे. यदि आश्रित परिवार कोई व्यवसाय या स्टार्ट-अप शुरू करना चाहता है, तो इन्हें वित्तीय संस्थानों से मदद दिलाने में भी ये अधिकारी सहायता की जाएगी.
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