कुलभूषण जाधव केस में बुधवार को अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ने भारत के हक़ में फैसला सुनाया है. 2017 में पाकिस्तानी मिलिट्री कोर्ट ने जासूसी करने के अपराध में कुलभूषण को मौत की सज़ा सुनाई थी. अन्तर्राष्ट्रीय न्यायलय ने कुलभूषण की मौत की सज़ा पर रोक लगा दी.


कुलभूषण जाधव को मार्च 2016 में पाकिस्तान ने हिरासत में लिया था और अप्रैल 2017 को उन पर आतंकवाद और जासूसी के आरोप लगाकर सज़ा सुनाई थी. भारत ने इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ मई 2017 में आईसीजे में अपील की थी.  

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पाकिस्तान का कहना था कि कुलभूषण को बलोचिस्तान से गिरफ़्तार किया गया था और वो ईरान के रास्ते बलोचिस्तान घुसे थे. वहीं भारत का दावा था कि कुलभूषण का आतंकवादियों ने ईरान से अपहरण कर लिया था, जहां ये सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी बिज़नेस के सिलसिले में गए थे.


पाकिस्तान के फ़ैसले को भारत ने विएना कन्वेंशन के उल्लंघन के आधार पर अन्तर्राष्ट्रीय न्यायलय में चुनौती दी थी. 

इस फ़ैसले को भारत की बड़ी डिप्लोमैटिक जीत के रूप में देखा जा रहा है. कोर्ट में भारत की 15-1 वोट से जीत हुई. भारत को 3 आईसीजे कोर्ट में बड़ी जीत मिली.    

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भारत के हक़ में  

पहला, आईसीजे ने कुलभूषण की सज़ा-ए-मौत को ख़ारिज किया. दूसरा, आईसीजे ने पाकिस्तान के पूरे ट्रायल और सज़ा को रिव्यू करने का आदेश दिया.


आईसीजे ने पाकिस्तान को किसी भी तरह से कुलभूषण को मौत की सज़ा को रोकने के निर्देश दिए. 

कोर्ट ने पाकिस्तान द्वारा विएना कन्वेंशन के 56वें आर्टिकल के उल्लंघन पर भी संज्ञान लिया.   

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भारत के ख़िलाफ़ लिए गए फ़ैसले 

भारत द्वारा पाकिस्तान के मिलिट्री कोर्ट को रद्द करने की मांग को आईसीजे ने नहीं माना.


कोर्ट ने ये भी कहा कि कुलभूषण की गिरफ़्तारी और सज़ा विएना कन्वेंश का उल्लंघन नहीं है.   

भारत ने कोर्ट में कुलभूषण की सुरक्षित देश वापसी की भी मांग की.