परमाणु बम कितना विनाशकारी होता है जापान के ‘हिरोशिमा’ और ‘नागासाकी’ शहर आज तक इसकी क़ीमत चुका रहे हैं. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ने 6 अगस्त, 1945 को ही हिरोशिमा में सुबह 8.15 के समय अमेरिका के ‘B29 बॉम्बर एनोला गे’ ने ‘लिटिल बॉय’ नाम का परमाणु गिराया था जिसमें 20 हज़ार टन के TNT से भी अधिक बल था. इस दौरान 80 हज़ार लोग मारे गए और इतने ही घायल भी हुये. इसके 3 दिन बाद अमेरिका ने नागासाकी शहर पर ‘फैट मैन’ नाम का परमाणु बम गिराया था. इस दौरान जिसमें 40 हज़ार लोगों की मौत हो गई थी. विस्फोट के बाद परमाणु विकिरण के संपर्क में आने और विस्फोटों के बाद हुई ‘काली बारिश’ से भी दोनों शहरों में हज़ारों लोगों की मौत हो गई थी. जबकि परमाणु विकिरण से जुड़ी बीमारियों के चलते भी हज़ारों लोग मारे गये थे.

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अमेरिका ने जापान के इन दो शहरों पर ‘परमाणु बम’ से हमला करके इनका नामो निशान मिटा दिया था. ये धमाके इतने विनाशकारी थे कि आज भी ‘हिरोशिमा’ और ‘नागासाकी’ शहर के लोग हर साल कई तरह की बीमारियों से पीड़ित रहते हैं. परमाणु हमलों के बाद रेडियोएक्टि विकिरण के शिकार जापानी लोगों की अदालती लड़ाई 77 साल बाद अब भी जारी है. पिछले साल ही जापान के हाईकोर्ट ने ‘काली बारिश’ के पीड़ित 84 लोगों की याचिका पर उन्हें मेडिकल सुविधाएं देने के पक्ष में फ़ैसला दिया था.

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हाल ही में Reddit पर किसी ने सवाल पूछा था कि If Nuclear War Began In The Next 10 Minutes, What Is Your Plan? मतलब ये कि अगर अगले 10 मिनट में ‘परमाणु युद्ध’ शुरू हुआ तो आप अपनी आख़िरी ख़्वाहिश के तौर पर क्या करेंगे? पहली बात तो ये कि ‘परमाणु हमला’ इतना विनाशकारी होता है कि ये आपको बचने और सोचने का मौका ही नहीं देगा और दूसरी बात ये कि आज के दौर में किसी देश द्वारा दूसरे देश पर ‘परमाणु हमला’ करना इतना आसान नहीं है. इसलिए हम इस टॉपिक को थोड़ा हल्का रखने की कोशिश करेंगे.

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इस दौरान हमने लोगों से जानने की कोशिश कि अगर भविष्य में कभी ग़लती से ‘परमाणु हमला’ हुआ तो वो अगले 10 मिनट में क्या करेंगे? 

1- सबसे पहले तो बचने की कोशिश करेंगे

इस सवाल का पहला जवाब तो यही होगा कि हम बचने की हरसंभव कोशिश करेंगे. ये बात एक हद तक सही भी है क्योंकि मौत का डर हर किसी को होता है. ज़िंदा रहने के लिए इंसान मौत की बाज़ी तक लगा देता है. ऐसे में अगर कोई ख़ुद को बचाने की कोशिश भी ना करे तो फिर ऐसे जीने का क्या फ़ायदा. इससे अच्छा तो मरना ही बेहतर है.  

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2- दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत महिला को डेट

कतई प्लेबॉय हो रहे हो! मौत क़रीब है, लेकिन इनको दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत डेट करना है. ये उस सिंगल लौंडे की आख़िरी ख़्वाहिश है जिसने आज तक किसी भी लड़की को डेट नहीं किया. यहां परमाणु हमले के डर से कलेजा बहार आ रहा है और इनके अंदर का शक्ति कपूर अब जाग रहा है.

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3- घर के पास वाली शॉप से कोई भी चीज़ खा लूंगा

आख़िरी 10 मिनट में बस यही हो सकता है कि घर के पास वाली शॉप से मन मर्जी की कोई भी चीज़ खा सकते हैं. इस दौरान पैसे देने का टेंशन भी नहीं होगा. और अगल बगल की दुकानों से भी मन पसंद चीज़ उठाकर खा लूंगा.  

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4- घर में जो भी नोट पड़े होंगे वो उड़ा दूंगा 

मेहनत के पैसों को हवा में उड़ाना कलेजे को चीरने के बराबर होता है. पता नहीं लोग शादियों में पैसे कैसे उड़ा लेते हैं. बस इन आख़िरी 10 मिनट में दिल पर पत्थर रखकर अपने सारे नोट उड़ा दूंगा. है न कुछ यूनीक सिर्फ़ मेरे लिए.

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5- विराट कोहली आख़िरी बार खाना चाहेंगे छोले-भटूरे 

ये पक्का फ़िटनेस फ़्रीक लोगों की आख़िरी ख़्वाहिश होने वाली है. इसमें पहला नाम इंडियन क्रिकेटर विराट कोहली का आता है. विराट ने पिछले 10 सालों से दाल-चावल, छोले-भटूरे, मिठाई जैसी कई चीज़ें चखी तक नहीं हैं. ऐसे में वो आख़िरी बार दिल्ली के ‘सीताराम’ के छोले-भटूरे पेलना चाहेंगे.  

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6- अंबानी के घर को अंदर से अच्छे से देख लूं 

भारत के सबसे अमीर लोगों में शुमार मुकेश अंबानी का घर दुनिया के सबसे महंगे घरों में से एक है. इसकी क़ीमत 15000 करोड़ रुपये के क़रीब है. ये हर उस आम इंसान की ख़्वाहिश है जो मरने से पहले अंबानी के घर को एक बार अंदर से देखना चाहता है.

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7- ब्रेकअप के बाद गर्लफ़्रेंड के साथ डेट

ये उस दिल टूटे हुए आशिक़ की आख़िरी ख़्वाहिश है जो इन 10 मिनट में अपनी एक्स से मिलना चाहता है और उसे एक बार फिर से उसी जगह डेट पर ले जाना चाहता है जहां वो पहली बार डेट पर गये थे. क्योंकि पता है इसके बाद मरना ही है.  

8- राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनना चाहेंगे

मोदी दौर में राहुल गांधी का प्रधानमंत्री उतना ही मुश्किल है जितना नदी का पानी दूसरी दिशा को मोड़ना. ऐसे में राहुल गांधी 10 मिनट के लिए भारत का पीएम बनकर अपनी आख़िरी ख़्वाहिश पूरी करना चाहेंगे.  

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9- क़ुतुब मीनार की टॉप से दिल्ली को निहारना

ये दिल्ली से बेइंतेहां मोहब्बत करने वाली आशिक़ की आख़िरी इच्छा है. वो बस आख़िरी बार परमाणु बम की चपेट में आने से पहले क़ुतुब मीनार की टॉप मंज़िल से ‘दिलवालों की दिल्ली’ को निहारना चाहता है.  

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10- बस एक बार जेल से बाहर निकल जाऊं

ये उस क़ैदी की आख़िरी इच्छा है जो पिछले कई सालों से बिना जुर्म के जेल की सजा काट रहा है. वो मरने से पहले 10 मिनट के लिए एक बार आज़ाद होकर खुली हवा में सांस लेना चाहता है.

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