साल 2020. इतिहास में ये साल दर्द की स्याही से दर्ज होगा. अभी पूरा साल बीता भी नहीं है कि कोविड-9, भूकंप, तूफ़ान, जंगल की आग और धमाकों ने हर शख़्स के ज़हन में एक अजीब सा ख़ौफ़ पैदा कर दिया है. बेगुनाह लोगों की मौत और मजबूर इंसानियत के बीच हम सब एक नई सुबह की बस उम्मीद कर रहे हैं.
उम्मीद बड़ी चीज़ है. क्योंकि इस मुश्किल वक़्त में भी कुछ ऐसी घटनाएं रहीं, जो लंबे समय तक इंसानियत की झंडाबरदारी करेंगी.
आज हम आपको ऐसे ही 8 चीज़ों के बारे में बताएंगे, जिन्होंने निराश हो चुके हर शख़्स को उम्मीद की एक नई किरण दी है.
1-कोरोना लॉकडाउन में आज़ाद हुई प्रकृति
कोरोना लॉकडाउन में इंसान घरों में बंद हुए तो प्रकृति ने राहत की सांस ली है. वैश्विक उत्सर्जन में 17 प्रतिशत की कमी हुई है. सड़कों पर गाड़ियों का जमावड़ा हटा तो वन्यजीवों को आराम से सड़कों पर टहलने का मौका मिला. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने 2020 को प्रकृति और जैव विविधता के लिए एक सुपर वर्ष होने का दावा किया है.
The lockdown has now ensured no disturbances for the Olive Ridley Turtles #Odisha pic.twitter.com/ICj9xVJTwY
— Soumyajit Pattnaik (@soumyajitt) March 25, 2020
पिछले कुछ महीनों में हमने ऐसी जगहों पर डॉल्फिनों को देखा, जहां हम आमतौर वो नहीं मिलतीं. लाखों ओलिव रिडले कछुए घोंसला बनाने के लिए वापस लौटे और सांभर हिरण और नीलगाय जैसे जानवर चंडीगढ़ और नोएडा की खाली सड़कों पर घूमते पाए गए.
कम से कम कुछ समय के लिए जानवरों ने अपनी खोई हुई जगह को वापस पा लिया. एक तरह से कोरोना लॉकडाउन ने पर्यावरण को एक बार फिर से सांस लेने का मौका दिया है.
2-कोझिकोड विमान हादसे में लोगों ने बचाई यात्रियों की जान
दुबई से 190 यात्रियों को लेकर लौट रही एयर इंडिया की फ़्लाइट केरल के कोझिकोड हवाई अड्डे पर रनवे पर उतरने के दौरान हादसे का शिकार हो गई. विमान रनवे से फ़िसल कर 35 फ़ीट गहरी खाई में गिरकर टूट गया.
बड़ी तादाद में आस-पास के क्षेत्रों के लोगों ने बारिश और कोविड-19 की परवाह किए बग़ैर तुंरत ही यात्रियों को बाहर निकालने में मदद की. सिर्फ़ इतना ही नहीं, कई लोग हॉस्पिटल में रक्तदान के लिए भी पहुंच गए. केरल के सीएम समेत ट्विटर पर कई लोगों ने कोझिकोड और मलप्पुरम के लोगों की इस काम की जमकर सराहना की.
इस डॉक्टर ने बताया कि कैसे उनकी तत्काल कार्रवाई ने कई लोगों की जान बचाई.
3-लोगों ने भीड़ द्वारा लूटे गए फल विक्रेता के लिए 8 लाख रुपये किए जमा
उत्तरी दिल्ली के एक फल विक्रेता फूल मिया के पास से एक भीड़ ने 30 हजार रुपये के आम लूट लिए. लूट का वीडियो वायरल होने के बाद मीडिया में खबर छपी तो देश भर से कई लोग उनकी मदद के लिए आगे आए.
लोगों ने 8 लाख रुपये से ज्यादा रकम उन तक पहुंचा दी. मीडिया और लोगों का शुक्रिया करते फूल मिया ने कहा कि, ‘जिन्हें चोरी करनी थी, उन्होंने कर ली. लेकिन मैं इस बात से अभिभूत हूं कि इतने लोगों ने मेरी मदद की है.’
4-सब्ज़ी विक्रेता की मदद के लिए आगे आए मुंबई वासी
अशोक सिंह ने चार महीने के लॉकडाउन के बाद 5 अगस्त को मुंबई के भिंडी बाज़ार में अपनी दुकान खोली लेकिन जल्द ही, उनकी दुकान के बाहर सड़क पर पानी भर गया और उन्हें तुरंत दुकान बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा.
हालात के आगे मजबूर अशोक सिंह घर जाते वक़्त किंग सर्किल के पास फूट-फूट कर रोने लगे. इस पल को मुंबई मिरर के एक फ़ोटोग्राफ़र ने कैद किया और जल्द ही ये तस्वीर वायरल हो गई. जिसके बाद बहुत से लोग अशोक की मदद को आगे आए और देखते ही देखते उनके अकाउंट में 2 लाख रुपये जमा हो गए.
अशोक ने कहा, ‘मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे मुंबई वासियों की उदारता से लाभ हुआ. लेकिन मुझे यकीन है कि मेरे जैसे शहर में हज़ारों लोग हैं जो हताश हैं. मुझे उम्मीद है कि उन्हें भी मदद मिलेगी.’
5-IAS अधिकारी ने एक नदी बहाली कार्यक्रम के ज़रिए दिया 800 मजदूरों को रोज़गार
जिलाधिकारी डॉ. आदर्श सिंह ने उत्तर प्रदेश के लगभग 800 ग्रामीणों को कल्याणी नदी पुनर्स्थापन परियोजना के तहत रोजगार दिलाने में मदद की. परियोजना को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MNREGS) के तहत कवर किया गया था और चरण 1 में इसके लिए 59 लाख रुपये से अधिक का बजट स्वीकृत किया गया था.
डॉ. सिंह ने डिप्टी कमिश्नर (मनरेगा-बाराबंकी) एनडी द्विवेदी और खंड विकास अधिकारी हेमंत कुमार यादव के साथ मिलकर ग्रामीणों को जागरूक करने और नदी तट पर अतिक्रमणों, कचरा डंपिंग और खुले में शौच को ख़त्म करने जैसे उपायों को अपनाया. इसके तहत मवैया गांव की सफ़ाई में 500 और हैदरगढ़ शहर में 300 से अधिक मज़दूरों को रोज़गार मिला.
6-ट्विटर पर लोगों ने लॉकडाउन के दौरान इस किसान को फ़सल बेचने में की मदद
इरोड में कन्नैयन सुब्रमण्यन का खेत 95 टन गोभी की फ़सल के साथ तैयार था. लेकिन इसके लिए कोई ख़रीदार नहीं था. ऐसे में उन्हे डर था कि उनका 4 लाख का निवेश बर्बाद हो जाएगा. ऐसे में किसान ने इसके बारे में ट्वीट करने का फ़ैसला किया! 18 अप्रैल को किए गए इस ट्वीट को 340,000 लोगों ने देखा और उन्हें ख़रीदार दिलाने में मदद की.
उन्होंने The Better India को बताया, ‘जब मैंने पहली बार देखा कि ट्वीट वायरल हो रहा था, तो मैं वास्तव में बहुत ख़ुश था. मेरे बेटे ने मुझे रीट्वीट की संख्या और उस पोस्ट पर आ रहे कमेंट्स दिखा. ये देखना आश्चर्यजनक था कि हमारे नागरिक लॉकडाउन के दौरान लोगों की मदद करने के लिए कैसे तैयार थे.’
7-पुल के नीचे मज़दूरों के बच्चों को पढ़ा रहीं केरल की टीचर्स
मैसूरु, कर्नाटक के प्रवासी श्रमिकों के छह बच्चे 10 वर्षों से अधिक समय से कोच्चि में वल्लारपदम पुल के नीचे रह रहे हैं. लॉकडाउन के चलते ये बच्चे स्कूल नहीं जा पाए. ऐसे में St. John Bosco U.P. की टीचर्स स्कूल को ही इन बच्चों तक ले गईं.
हेडमिस्ट्रेस एलिजाबेथ फर्नांडीज, जो तीन अन्य शिक्षकों के साथ हर दिन बच्चों को पढ़ाने जाती हैं, उन्होंने बताया कि, ‘हम उनके लिए पिछले दिन की क्लासेज़ को डाउनलोड करने का निर्णय किया और यहां तक कि कक्षा के दौरान उन्हें इंगेज रखने के लिए रंगीन चार्ट और इंटरएक्टिव गेम तैयार करने का फ़ैसला किया.
सभी आवश्यक सावधानी बरतते हुए ये चार शिक्षक इन बच्चों की दैनिक कक्षाएं लेने के लिए पिछले एक महीने से लंबी दूरी तय कर यहां आती हैं.
8-कोरोना के दौरान प्रवासी मज़दूरों के मसीहा बने सोनू सूद
कोरोना लॉकडाउन के समय से ही सोनू सूद ने इतने लोगों की मदद की है कि यहां हर घटना का ज़िक्र करना बेहद मुश्किल काम है. हज़ारों प्रवासी मज़दूरों को घर भेजना हो, या उनके खाने-पीने की व्यवस्था हो, या फिर केरल के एर्नाकुलम में फंसी 167 लड़कियों को एयरलिफ़्ट करना हो, सोनू सूद हर वक़्त आगे रहे हैं. यहां तक उन्होंने मज़दूरों को घर भेजने के बाद उन्हें नौकरी दिलाने के लिए ‘प्रवासी रोज़गार ऐप’ लॉन्च कर दी और हज़ारों लोगों को रोज़गार दे रहे हैं.
ट्विटर पर जो भी उनसे मदद मांगता है, उसे वो निराश नहीं करते. यहां तक कि एक किसान जब बैल की जगह बेटियों से खेत जोत रहा था तब सोनू सूद ने उनके लिए नया ट्रैक्टर भिजवा दिया. किर्गिस्तान में फंसे मेडिकल की पढ़ाई करने वाले बिहार-झारखंड के क़रीब 3000 स्टूडेंट्स को वो भारत वापस लेकर आए. सिर्फ़ भारत के ही लोगों को नहीं बल्क़ि लॉकडाउन में भारत में फंसी एक रशियन महिला को उसके घर पहुंचा कर मदद की. अभी भी सोनू सूद लगातार लोगों की मदद करने में लगे हैं.