जब भी कोई अपना घर बनाता है, तो वो चाहता है कि उसके घर में हमेशा सुख-शांति बनी रहे. इसके लिए वो अपने घर में पूजा-पाठ तो कराता ही है, साथ ही साथ घर बनवाते वक़्त वास्तु शास्त्र का भी ध्यान रखता है. लेकिन एक अच्छा वास्तु शास्त्री मिलना भी आसान नहीं है. शायद इसीलिए आईआईटी खड़गपुर ने ये फ़ैसला लिया है कि इस साल अगस्त से आर्किटेक्चर के अंडरग्रैजुएट स्टूडेंट्स को वास्तु शास्त्र की बेसिक शिक्षा भी दी जाये.
ऐसा इसलिए है क्योंकि आईआईटी खड़गपुर का मानना है कि कोई भी छात्र उस समय तक एक बेहतरीन वास्तुकार नहीं बन सकता है, जब तक उसको प्राचीन भारतीय वास्तु शास्त्र के बेसिक नियम और सिद्धांत न पता हों. इसलिए आर्किटेक्चर के अंडरग्रैजुएट स्टूडेंट्स को पहले और दूसरे साल में वास्तु शास्त्र के बेसिक नियम पढ़ाये जायेंगे और पोस्ट ग्रैजुएशन के स्टूडेंट्स या रिसर्च स्कॉलर्स को यह विषय पूरे विस्तार से पढ़ाया जाएगा.
हालांकि, अभी तक आर्किटेक्चर और इंफ्रास्ट्रक्चर के स्टूडेंट्स को वास्तु शास्त्र नहीं पढ़ाया जाता है और न ही इस विषय को कोर्स में शामिल नहीं किया जाता है. जब प्रोफ़ेसर्स और फ़ैकल्टी मेंबर्स ने आर्किटेक्चर और इंफ्रास्ट्रक्चर के पढ़ने और पढ़ाने की प्रणाली में बदलाव करने के बारे में सोचा, तो उनको इस बात का आभास हुआ कि इस कोर्स के स्टूडेंट्स को वास्तु शास्त्र भी पढ़ाया जाना चाहिए, जो प्राचीन और भारतीय वास्तुकला की पढ़ाई के लिए बहुत ज़रूरी है. साथ ही उनका ये भी मानना है कि जब स्टूडेंट्स को वेस्टर्न कल्चर की वास्तुकला के नियमों और सिद्धांतों के बारे में बताया जा सकता है, तो फिर क्यों न प्राचीन भारतीय वास्तुकला के बारे में भी बताया जाए. उनका मानना है कि वास्तु अध्ययन का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि यह विज्ञान के सिद्धांतों पर आधारित है.
आईआईटी खड़गपुर के रणबीर और चित्रा गुप्ता स्कूल ऑफ़ इंफ्रास्ट्रक्चर डिज़ाइन एंड मैनेजमेंट ने बीते शनिवार को ‘Vastu in Global Perspective’, शीर्षक पर एक वर्कशॉप का आयोजन किया था, जिसमें दुनिया भर के वास्तु एक्सपर्ट्स को आमंत्रित किया गया था.
‘Vaastu in Global Perspective’ a workshop by #IITKGP demonstrates the social & environmental relevance of traditional infrastructure pic.twitter.com/2xYon9toOR
— IIT Kharagpur (@IITKgp) April 17, 2017
इस के संस्थान के प्रमुख और आर्किटेक्चर डिपार्टमेंट के फ़ैकल्टी मेंबर जॉय सेन ने बताया, ‘पूरी दुनिया में लोगों का रुझान प्राचीन भारतीय विद्या की ओर हो रहा है, यहां की शिक्षा के प्रति लोगों में दिलचस्पी बढ़ रही है. इसलिए यह स्वाभाविक है कि हमें भी अपने आर्किटेक्चर और इन्फ्रास्ट्रक्चर के कोर्स में प्राचीन वास्तु शास्त्र को शामिल करना चाहिए.’