ग्लोबल वॉर्मिंग से देश-दुनिया पर नया ख़तरा मंडरा रहा है.सूरज की रौशनी को लगातार ग्रहण करते हुए हमारी पृथ्वी दिनों-दिन गर्म होती जा रही है, जिससे वातावरण में कॉर्बनडाई ऑक्साइड का स्तर बढ़ रहा है. इसके लगातार बढ़ते दुष्प्रभावों को कम करने के लिए बड़े स्तर पर सामाजिक जागरूकता की ज़रूरत है.

वहीं इससे निपटने के लिए IIT रुड़की के वैज्ञानिकों ने ऐसा तोड़ निकाला है, जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे. जामुन से तो हर कोई वाकिफ़ है. जामुन का नाम लेते ही बचपन की कुछ सुनहरी यादें ताज़ा हो जाती हैं.

IIT रुड़की के वैज्ञानिकों ने जामुन से सस्ते सौर सेल बनाने का तरीका ढूंढ निकाला है. शोधकर्ताओं ने जामुन में पाए जाने वाले Pigment का इस्तेमाल सस्ते फ़ोटो Sensitizer के रूप में किया है. Gratzel Cell पतली फ़िल्म वाले सोलर सेल होते हैं, जो कि जो के प्रकाश को जल्दी Absorb कर लेते हैं.

रसीले फल जामुन के इस कारगर उपयोग के बारे में IIT रुड़की में सहायक प्रोफे़सर और शोधकर्ता सौमित्रा सतपाठी पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि IIT परिसर के अंदर जामुन के पेड़ों संख्या बहुत अधिक है, जिसकी वजह से ये विचार आया कि इसका रंग डाई के लिए संवेदनशील सौर सेल में उपयोगी साबित हो सकता है. वैज्ञानिकों ने इथेनॉल का इस्तेमाल कर जामुन से डाई निकाली.

ताज़े आलू बुखारों और काले अंगूरों का मिश्रित बैरी जूस का भी इस्तेमाल किया गया है. इनमें Pigment होते हैं, जो जामुन को एक विशेष तरह का रंग देने में मदद करते हैं. सतपाठी ने कहा, प्राकृतिक Pigment आम रूथेनियम आधारित Pigments की तुलना में कहीं सस्ते होते हैं. ये शोध जर्नल ऑफ़ फोटोवोल्टेक्स में प्रकाशित किया गया.

छोटे से मीठे से फल, जामुन का इससे अच्छा उपयोग कुछ हो नहीं सकता. ये कारनामा सिर्फ़ हम भारतीय ही कर सकते हैं.