हम सब ने बचपन से ये बात तो सुनी होगी कि बेटा बड़े हो जाओ और एक सरकारी नौकरी ढूंढ लो, फिर तुम्हारी लाइफ़ सेट है.

हमारे समाज में सरकारी नौकरियों को जो नाम, दबदबा और प्रभाव हासिल है, वो प्राइवेट नौकरियों में नहीं है. 

अब इन जनाब को सरकारी नौकरी का कीड़ा लगता है ज़्यादा जोर से काट गया.  

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बिहार में पटना के निवासी श्रवण कुमार के पास IIT बॉम्बे से B.Tech और M.Tech की डिग्री है. लेकिन वो फ़िलहाल धनबाद रेलवे डिवीजन में भारतीय रेलवे में ग्रुप “डी” की नौकरी कर रहा है. वो यहां पर ट्रैकमैन का काम करते है. वो चंद्रपुरा और टेलो सेक्शन के बीच के ट्रैक का ध्यान रखते हैं. ये नौकरी करने की एक मात्र वजह थी, ‘जॉब सिक्योरिटी’. वो बचपन से भी कोई सरकारी नौकरी ही करना चाहते थे.

धनबाद रेलवे स्टेशन में काम कर रहे सीनियर अधिकारीयों के लिए भी ये भर्ती बहुत चौंका देने वाली थी. उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि कोई इतनी डिग्री प्राप्त करा हुआ इंसान “D” ग्रुप में नौकरी लेगा.

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कुमार को भविष्य में सरकारी क्षेत्र में बड़ा अधिकारी बनने का पूरा भरोसा है. उनके कई आईआईटियन दोस्त प्राइवेट नौकरी कर रहे हैं, लेकिन वे उसे ये सरकारी नौकरी छोड़ने के लिए मनाने में विफल रहे.