2018 में पत्रकार प्रिया रमानी ने पूर्व केन्द्रिय मंत्री एम.जे.अकबर पर यौन शोषण का आरोप लगाया. NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक़, अकबर ने रमानी को अपने होटल रूम में बुलाया और उसके साथ अभद्र व्यवहार किया. इसके बाद कई महिलाओं ने अकबर पर यौन शोषण, मॉलेशटेशन, छेड़छाड़ के आरोप लगाए.

Live Law की एक रिपोर्ट के अनुसार, अकबर ने अक्टूबर 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट में प्रिया रमानी के ख़िलाफ़ मानहानी का मुक़दमा दायर किया. अकबर का कहना था कि रमानी के आरोप से पहले वे समाज के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति थे और उनकी प्रतिष्ठा रमानी के ट्वीट से नष्ट हो गई. अकबर का ये भी कहना था कि रमानी के ट्वीट की वजह से उन पर सोशल मीडिया ट्रायल भी चला.

The Indian Express

बीते बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने प्रिया रमानी को इस केस में बरी कर दिया और कहा ‘एम.जे अकबर एक उच्च प्रतिष्ठा वाले व्यक्ति नहीं हैं’. लगभग 2.5 साल बाद रमानी को इस केस में बरी कर दिया गया. ये न सिर्फ़ रमानी की जीत है बल्कि #MeToo के तहत यौन शोषण पर बोलने वाली हर एक महिला की जीत है. 

दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान बहुत कुछ कहा जो सराहनीय है, 10 अहम बातें- 

दिल्ली हाई कोर्ट के फ़ैसले, प्रिया रमानी केस, #MeToo मूवमेंट से जुड़े अपने विचार कमेंट बॉक्स में बताइए