भारत में ज़्यादातर लोग अपनी संतान के रूप में बेटा चाहते हैं. घर के चिराग की इस चाह में कुछ लोग मां के पेट अंदर ही बेटी का क़त्ल करने से भी नहीं चूकते. ऐसे में आपको ये जानकर हैरानी होगी कि इसी देश में एक ऐसा भी मंदिर है, जहां लोग बेटे की नहीं बल्कि बेटी पैदा होने की मन्नत मांगने जाते हैं.
ये चौंकाने वाला है, लेकिन सच है. झारखंड के बोकारो जिले के चास ब्लॉक के चाकुलिया गांव में 170 साल पुराना दुर्गा मंदिर है, जहां लंबी-लंबी कतारों में सैकड़ों लोग बेटी पैदा होने की मन्नत मांगने के लिए खड़े रहते हैं.
हर साल की तरह इस गांव में दुर्गा पूजा की शुरुआत घटस्थापना से होती है. इस मंदिर में एक 150 साल पुराने तांबे के बर्तन की पूजा की जाती है. स्थानीय लोगों ने बताया कि. ‘भले ही पूरे साल लोग मंदिर आते हों, लेकिन नवरात्र में यहां भीड़ काफ़ी बढ़ जाती है, क्योंकि बेटी की कामना में यहां सैकड़ों लोग सिद्धिदात्री दुर्गा की एक भव्य मूर्ति से प्रार्थना करने के लिए आते हैं.’
लोककथाओं के अनुसार, कालीचरण दुबे नाम के एक ग्रामीण ने पहली बार यहां क़रीब 150 साल पहले एक बेटी के लिए प्रार्थना की थी और उसकी इच्छा पूरी हुई थी. इस बात के फैलते ही बेटी चाहने वाले कई जोड़े मंदिर जाने लगे.
एक ग्रामीण मनोज कुमार ने कहा, ‘हर साल कई जोड़े बेटी की कामना में यहां आते हैं. इनमें से बहुत से लोगों की मुराद पूरी भी हो चुकी होती है और सभी ग्रामीण यहां भक्ति और समर्पण के साथ दुर्गा पूजा करते हैं.’ हालांकि, कोरोना महामारी के चलते इस बार यहां पूजा बेहद सामान्य तरीक़े से की जा रही है.
एक भक्त सूर्यकांत सिंह ने कहा, ‘हमारा एक बेटा था, लेकिन हमें लगा कि परिवार एक बेटी के बिना अधूरा है. फिर हमने यहां प्रार्थना की और कुछ साल पहले एक बच्ची का जन्म हुआ. मेरा परिवार हर साल दुर्गा पूजा के दौरान देवी के दर्शन करने मंदिर आता है.’
एक अन्य निवासी कात्यायनी देवी ने कहा कि उनकी इच्छा पूरी होने के बाद उन्होंने अपनी बेटी का नाम भवानी रखा. देवी ने कहा, ‘मेरी तरह कई लोग, यहां तक कि गर्भवती महिलाएं जो बेटियां पैदा करने की इच्छा रखती हैं, देवी का आशीर्वाद लेने यहां आती हैं.’
ये जानकर सच में ख़ुशी होती है कि हमारे देश में ऐसे भी लोग हैं, जिन्हें लगता है कि एक बेटी के बिनी कभी परिवार पूरा नहीं हो सकता.