कुछ तस्वीरें ऐसी होती हैं, जिन्हें देखकर समझ नहीं आता कि मुल्क़ डूब रहा है या उसके बाशिंदे! बच्चों पर देश के भविष्य के भार बाद की बात है, फ़िलहात तो वो ख़ुद गले तक पानी में गैस सिलेंडर का बोझ ढोने को मजबूर हैं.   

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दरअसल, इस वक़्त बाढ़ में बिहार है. ग़लत नहीं लिखा है, यही सच्चाई है. बहुत तलाशेंगे तो पानी के बीच-बीच में बिहार की झलक मिल जाएगी. इसे प्रकृति की मार कह लीजिए या नेताओं की ढिठई, मगर ये हर साल का नज़ारा है. बस इस साल शर्मिंदा होने के लिए कुछ नई तस्वीरें हैं.  

मामला बिहार के कटिहार से जुड़ा है, जहां के हसनगंज प्रखंड के बाढ़ ग्रस्त इलाके में लोग नाव का किराया बचाने के लिए बच्चों की जान जोख़िम में डालने से भी नहीं चूक रहे. यहां चॉकलेट के बदले बच्चों को गैस सिलेंडर के साथ उफ़नाती नदी में उतारा जा रहा है.  

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दरअसल, नदी को पार करने के लिए नाव वाले 20 रुपये किराया ले रहे हैं, लेकिन गैस सिलेंडर ले जाने के लिए दोगुने रुपये देने पड़ते हैं. ऐसे में महज़ 20 रुपये बचाने के लिए यहां लोग छोटे-छोटे बच्चों के सहारे गैस सिलेंडर को नदी के उस पार पहुंचा रहे हैं.   

बच्चे इतने छोटे हैं कि उन्हें अपने काम से जुड़े ख़तरे का ज़रा भी अंदाज़ा नहीं है. ग़लती से भी सिलेंडर से गैस लीक हो गई तो बेहद भयानक हादसा सामने होगा. फिर डूबने का ख़तरा तो बना ही हुआ है.  

बच्चों ने बताया कि हर बार उन्हें इस काम के लिए चॉकलेट या पैसा नहीं मिलता है. उन्हें नदी में सिलेंडर ढोने में डर भी लगता है, लेकिन वे इसे कर देते हैं. बदले में चॉकलेट या पैसा मिल जाए तो ठीक. उन्होंने बताया कि ज़्यादातर बच्चे ये काम मुफ़्त में ही कर देते हैं.   

मुफ़्त मे करें या फिर चॉकलेट के बदले, डर लगता है या नहीं, ये सवाल ही नहीं है. सवाल ये है कि आख़िर लोग कैसे इनसे ये ख़तरनाक काम करवा रहे हैं, वो भी महज़ 20 रुपये बचाने के लिए. ये एक घटिया और मासूमों की ज़िंदगी दांव पर लगाने वाली हरकत है, जिस पर तुरंत रोक लगनी चाहिए.