दुनियाभर में कोरोना वायरस के चलते अब तक क़रीब 14,704 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि भारत में अब तक कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या 8 हो गयी है. देशभर में इस ख़तरनाक वायरस के चलते जनजीवन एकदम ठप सा हो गया है. दिल्ली, पंजाब और राजस्थान समेत अन्य राज्यों ने पूरी तरह से लॉकडाउन का ऐलान कर दिया है. 

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बीते रविवार पीएम मोदी की अपील पर लोगों ने ‘जनता कर्फ़्यू’ का पालन किया. ज़्यादातर शहरों में सन्नाटा पसरा रहा और लोगों ने ख़ुद को घरों में क़ैद कर लिया था. 

इसके बाद शाम 5 बजे घरों से बाहर निकलकर ‘कोरोना हीरोज़’ के सम्मान में ताली, थाली, घंटी और शंख बजाकर उनका अभिवादन किया. लेकिन इस सम्मान के साथ-साथ जो हुआ वो हास्यास्पद रहा. कई शहरों में 5 बजे के बाद भीड़ की भीड़ बाहर निकल आई. लोगों ने गाड़ियों पर रैलियां निकालीं. कई जगह थाली और ढोल बाजे लेकर लोग कॉलोनियों में जुलूस निकालते नज़र आए. लोगों ने जो किया वो ‘जनता कर्फ़्यू’ के मक़सद को फ़ेल करता नज़र आया. 

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इस दौरान देशभर से कई ऐसे वीडियो सामने आए जिनमें पीएम मोदी की अपील के बावजूद लोगों ने ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ की जमकर धज्जियां उड़ाईं. ये सारे वीडियोज़ सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगे. 

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इस बीच ट्विटर पर ये ज़रूरी बहस भी छिड़ी की एक तरफ़ जहां देश में चिकित्सक और अस्पताल में मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे हैं, उनके पास न ज़रूरत भर के मास्क हैं, न सूट ऐसे में घरों में तालियां और थालियां बजाने का क्या अर्थ है? 

एक सर्जन ने ट्वीट किया, ‘मुझे आपकी ताली नहीं चाहिए. मैं अपनी भलाई सुनिश्चित करने के लिए आपके वास्तविक और पूरे प्रयास चाहती हूं. मुझे खुद की सुरक्षा के लिए उपकरण चाहिए. मैं अच्छी सरकारी रणनीति चाहती हूं. मैं आपके कामों में विश्वास रखना चाहती हूं. बेहतर करें.’ 

वहीं, कुछ पेशेवर चिकित्सकों ने कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ जंग में ज़रूरी संसाधनों की कमी पर चिंता व्यक्त की. 

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एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में चिकित्सा पेशेवरों को Covid-19 महामारी से निपटने में गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. उनके पास गुणवत्तापूर्ण व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों की कमी है. वहीं, भारतीय निर्माताओं का कहना है कि वे नहीं जानते कि स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देशों के अभाव में क्या उत्पादन करना है. 

21 मार्च को Protection Wear Manufacturers Association of India के चेयरमैन डॉ. संजीव ने कहा कि हमने 12 फ़रवरी से स्वास्थ्य मंत्रालय को कई बार लिखा है और उनमें से कई लोगों से मिले भी, लेकिन आप उनकी समझदारी का अंदाज़ा इस बात से लगा सकते हैं कि एक महीना हो चुका है लेकिन अब तक र्निदेश नहीं आए. 

Critical Care Medicine journal के एक पेपर के मुताबिक़, भारत में प्रति एक लाख़ लोगों पर 2.3 क्रिटिकल केयर बेड उपलब्ध हैं. वहीं, इटली में एक लाख़ पर 12.5 आईसीयू बेड हैं. जबकि इटली में ज़्यादा लोगों की मौत हुई है.