कहते हैं समय के साथ-साथ इंसान के शरीर का ज़ख्म भर जाता है, लेकिन अगर एक बार इंसान दिमाग़ी रूप से बीमार हो जाए, तो फिर उसका ठीक होना थोड़ा मुश्किल होता है. यहां डिप्रेशन की बात हो रही है, जिसकी वजह से सलाना कई लोग आत्महत्या भी कर लेते हैं. इस वक़्त दुनिया भर में करीब 300 मिलियन लोग डिप्रेशन का शिकार हैं. इसके अलावा भारत को दुनिया के सबसे Depressed देश का तमगा मिला है.

WHO (World Health Organisation) की रिपोर्ट के अनुसार, इंडिया, चीन और यूएस के लोग Anxiety, Schizophrenia Bipolar से सबसे ज़्यादा प्रभावित होते हैं. WHO की तरफ़ से NCMH के लिये किये गये इस अध्यन में कहा गया कि 6.5 प्रतिशत भारतीय मानसिक रोग से जूझ रहे हैं. यही नहीं, रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि इस रोग का इलाज करने के लिए भारत में डॉक्टर्स और मनोवैज्ञानिकों की भी कमी है. वहीं देश की औसत आत्महत्या दर 10.9 है, जिसमें से अधिकांश लोग 44 वर्ष से कम उम्र के थे.

इंडिया के बाद मानसिक रोगियों की सबसे ज़्यादा तादाद चीन में हैं, जहां 91.8 प्रतिशत मानसिक रोगी पीड़ा के वक़्त कभी मदद की गुजारिश नहीं कर पाएंगे. इसके साथ ही चीन मानसिक स्वास्थ्य पर सिर्फ़ 2.35 प्रतिशत रुपये ही खर्च करता है. डिप्रेशन के मामले में भारत और चीन में ज़्यादा फ़र्क नहीं है.

अमेरिका के साथ-साथ इस लिस्ट में ब्राज़ील, पाकिस्तान, रूस और इंडोनेशिया जैसे देश भी शामिल हैं. बीते साल संयुक्त राज्य अमेरिका में 41 प्रतिशत लोगों को मानसिक रोग का ट्रीटमेंट दिया जा सका था. अमेरिका में भी मानसिक रोगियों के इलाज के लिए चिकित्सकों की कमी है. वहीं इंडोनेशिया में 3.7 प्रतिशत जनसंख्या इस रोग से जूझ रही है. इसके बाद रूस में 5.5 प्रतिशत लोग दिमाग़ी रूप से स्वस्थ नहीं है. वहीं पाकिस्तान के पास मानसिक रोगियों के इलाज के लिए सिर्फ़ 750 Trained Psychiatrists, जैसा कि 2012 की रिपोर्ट में कहा गया था.
इस स्टडी में ये भी सामने आया है कि डिप्रेशन का शिकार ज़्यादातर युवा होते हैं. इसका कारण अकेलापन या फिर पारिवारिक दवाब भी हो सकता.
Source : Indiatoday
Feature Image Source : Indianexpress