दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा गुजरात में लगभग बनकर तैयार है. ये प्रतिमा देश के प्रथम उप-प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित है. इसकी ऊंचाई 182 मीटर है. 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की जयंती पर इसे विश्व को समर्पित किया जाएगा.

फ़िलहाल दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा चीन में है. गौतम बुद्ध की ये प्रतिमा 128 मीटर ऊंची है, जिसका नाम Guinness Book of World’s Record में भी दर्ज है. देश के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल ने देश को जोड़ने का काम किया था. उनकी कूटनीति की बदौलत ही कई रियासतों में बंटे भारत को एक देश के रुप मे एकजुट करना संभव हुआ था.

इस प्रतिमा का नाम स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी रखा गया है. आइए जानते हैं विश्व की इस सबसे बड़ी प्रतिमा से जुड़े कुछ रोचक तथ्य.

स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी की ऊंचाई 182 मीटर क्यों रखी गई?

सरदार पटेल की इस प्रतिमा का निर्माण नर्मदा नदी के किनारे केवड़िया में किया जा रहा है. ये जगह गुजरात के अहमदाबाद से तकरीबन 200 किलोमीटर दूर है. इसकी ऊंचाई 182 मीटर रखी गई है क्योंकि गुजरात विधानसभा में भी इतनी ही सीटे हैं. इसकी आधारशिला 31 अक्टूबर 2013 में पीएम मोदी ने रखी थी.

स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य:

– ये स्टैच्यू तकरीबन 2990 करोड़ रुपये की लागत से बनकर तैयार होगा. इसमें 2332 करोड़ रुपये प्रतिमा के निर्माण और 600 करोड़ रुपये 15 साल तक रख रखाव के लिए ख़र्च किए जाएंगे.

– इसके मूल ढांचे को स्टील और कंक्रीट से बनाया गया है. इसके बाहरी ढांचे को तांबे से बनाया जाएगा.

– इस मूर्ती के पास एक हाईटेक संग्रहालय भी बनाया जाएगा. इसमें भारत के सभी स्वतंत्रता सेनानियों का इतिहास लिखा होगा.

– प्रतिमा को पूरा करने के लिए 2400 मज़दूर दिन-रात काम कर रहे हैं. इस काम के लिए चीन से करीब 100 कारीगरों की मदद ली गई है.

एक तरफ़ बीजेपी इसे देश की शान की तरह पेश कर रही है. वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि करोड़ों रुपयों को ऐसे बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए. इससे अच्छा तो ये होता कि इन रुपयों को लोगों के लिए ख़र्च किया जाता.

जानकारों का कहना है कि स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी बीजेपी का मूर्ती कार्ड है, जिसे वो वोट बैंक में तब्दील करना चाहती है. कांग्रेस द्वारा नेहरू और गांधी की प्रतिमा बनाकर शुरू किए गए इस खेल में अब बीजेपी उस पर भारी पड़ती दिखाई दे रही. बीजेपी से पहले यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायवती ने इस कार्ड का अच्छे से इस्तेमाल किया था. उन्होंने पूरे उत्तर प्रदेश में बाबा साहेब अंबेडकर की मूर्तियां बनवाई थीं.