संयुक्त राष्ट्र के ‘मानव विकास सूचकांक’ में भारत को 131वां स्थान मिला है. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा जारी ‘मानव विकास सूचकांक 2020’ में भारत 2 पायदान नीचे फिसल गया है. भारत को 189 देशों की सूची में 131वें स्थान पर रखा गया है. जबकि 2019 में भारत को 129वां स्थान मिला था.
India ranks 131 in the United Nations Development Programme’s (UNDP)) Human Development Index.
— ANI (@ANI) December 17, 2020
Norway tops the index.
Sri Lanka ranks 72, China at 85 and Bangladesh at 133 and Pakistan at 154 pic.twitter.com/5KnD13D2LF
संयुक्त राष्ट्र के ‘मानव विकास सूचकांक’ में पहले पायदान पर नॉर्वे रहा. इसके बाद आयरलैंड दूसरे, स्विट्ज़रलैंड तीसरे, हांगकांग चौथे और आइसलैंड पांचवे स्थान पर रहे. नॉर्वे पिछले साल भी पहले पायदान पर रहा था.
बता दें कि ‘मानव विकास सूचकांक’ में इस साल भारत की एचडीआई वैल्यू 0.645 रखी गई है. ये वैल्यू 1 अंक के जितनी निकट रहे उतनी अच्छी मानी जाती है. पहले स्थान पर रहे नॉर्वे की एचडीआई वैल्यू 0.957 है. इस मामले में पड़ोसी देश चीन, श्रीलंका और भूटान हमसे आगे रहे.

‘मानव विकास सूचकांक’ में पड़ोसी देश
मानव विकास रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीलंका और भूटान जैसे छोटे देश भी सूचकांक में भारत से अच्छा हैं. मालूम हो कि श्रीलंका 72वें और भूटान 129वें स्थान पर है. वहीं भारत के पड़ोसी श्रीलंका 72वें, चीन 85वें, भूटान 129वें, बांग्लादेश 133वें, नेपाल 142वें, म्यांमार 147वें और पाकिस्तान 154वें स्थान पर रहे.

क्या है मानव विकास सूचकांक?
‘मानव विकास सूचकांक’ एक सांख्यिकीय सूचकांक है, जिसमें जीवन प्रत्याशा, शिक्षा, और आय सूचकांकों को शामिल किया जाता है. इस दौरान किसी देश में स्वास्थ्य, शिक्षा, आय और जीवन स्तर के आधार पर ये सूचकांक तैयार है. संयुक्त राष्ट्र द्वारा पहला ‘मानव विकास सूचकांक’ साल 1990 में जारी किया गया था. प्रत्येक वर्ष इसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा प्रकाशित किया जाता है.

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की रिपोर्ट 2020 के मुताबिक़, साल 2019 में जन्मे भारतीयों की जीवन प्रत्याशा 69.7 साल आंकी गई, जबकि बांग्लादेश में ये 72.7 साल रही. जीवन प्रत्याशा के मामले में पड़ोसी देश पाकिस्तान पीछे रहा. वहां जीवन प्रत्याशा 67.3 साल आंकी गई.
यूएनडीपी के रेजिडेंट प्रतिनिधि शोको नोडा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि, भारत की रैंकिंग में गिरावट का ये मतलब नहीं कि भारत ने अच्छा नहीं किया, बल्कि इसका अर्थ है कि अन्य देशों ने बेहतर किया. भारत दूसरे देशों की मदद कर सकता है. नोडा ने इस दौरान भारत द्वारा ‘कार्बन उत्सर्जन’ कम करने के प्रयासों की भी सराहना की.

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की इस रिपोर्ट में भारत के लिए अच्छी बात ये रही कि आर्थिक सुरक्षा, ज़मीन पर मालिकाना हक बढ़ने से महिलाओं की स्थिति में पहले से अधिक सुधार हुआ है. लेकिन क्रय शक्ति समता (पीपीपी) के आधार पर 2018 में भारत की ‘प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय’ 6,829 अमेरिकी डॉलर थी, जो 2019 में गिरकर 6,681 डॉलर हो गई.