हम विकास और औद्योगीकरण के नाम पर इस दुनिया को कंक्रीट में बदलते जा रहे हैं. जिसकी सबसे ज़्यादा क़ीमत जानवरों को चुकानी पड़ रही है. हम उनसे उनके जंगल छीन रहे हैं, वो परिवेश नष्ट कर दे रहे हैं जो उनके घर हैं.
हाईवे पर गाड़ियां दौड़ाते समय ऐसा कितनी बार होता है कि कोई जानवर सड़क पार करते समय अपनी जान गवां बैठता है. क्यों ? क्योंकि जो जगह कभी उसकी थी आज वहां सड़कों की रेल है.
विकास और वन्य जीवन दोनों में संतुलन बनाए रखना बेहद ज़रूरी है जिसकी वजह से ‘एनिमल ब्रिज’ अस्तित्व में आया. जल्द ही भारत को भी अपना पहला ‘एनिमल ब्रिज’ मिलने वाला है.
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एनिमल ब्रिज या वाइल्ड लाइफ़ क्रॉसिंग क्या होता है ?
वन्यजीव क्रॉसिंग ऐसा पुल है जो जानवरों को मानव निर्मित बाधाओं को सुरक्षित रूप से पार करने की अनुमति देता है. ऐसे में दोनों मानव निर्मित चीज़ों और वन्य जीवों, उनके निवास-स्थान की सुरक्षा की जा सकती है. ये वाहनों और जानवरों के बीच टकराव होने से भी बचाते हैं.
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ऐसा ही एक एनिमल ब्रिज या ओवरपास दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर बनने वाला है. खबरों के अनुसार, यह एक्सप्रेसवे 2022 तक पूरी तरह बना जाएगा. इस एक्सप्रेसवे की सबसे बड़ी ख़ूबी होगी इसके 5 एनिमल ब्रिज.
1,200 किमी लम्बे इस एक्सप्रेसवे पर भारत का पहला एनिमल ब्रिज बनेगा ताकि वन्यजीवों को कोई हानी न हो. ये ब्रिज यह सुनिश्चित करेगा की रणथंभौर वन्यजीव कॉरिडोर के जानवरों को कोई भी परेशानी न हो. यह कॉरिडोर राजस्थान में स्थित वन्यजीव अभयारण्यों (Sanctuaries) रणथंभौर और मुकुंदरा (दर्रा) को जोड़ता है. कुल मिलाकर, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर 5 ऐसे एनिमल ब्रिज होंगे जिनकी संयुक्त लंबाई 2.5 किमी से अधिक होगी.
ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड, जापान, कनाडा जैसे देशों में ये एनिमल ब्रिज बने हुए हैं.