2016 की एक गणना के अनुसार, भारत में 12 से 14 हज़ार चीते हैं.

HT की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीयों ने 5 साल में सबसे ज़्यादा चीते इस साल मारे हैं. Wildlife Protection Society of India (WPSI) के अनुसार, इस साल देश भर में 460 चीतों को मारा गया. सबसे ज़्यादा चीते (93) उत्तराखंड में मारे गए. इनमें से 155 का अवैध शिकार किया गया और 74 ट्रेन या सड़क दुर्घटना में मारे गए.

2017 में 431, 2016 में 440, 2015 में 399 और 2014 में 331 चीते मारे गए थे.

The Conversation

WPSI के Tito Joseph ने HT को बताया,

अवैध शिकार, सड़क दुर्घटना में होने वाली जानवरों की मौत का एकमात्र कारण है, तेज़ी से बढ़ता शहरीकरण. चीते किसी भी माहौल में आसानी से ढल जाते हैं और इसीलिए वे इंसान के क़रीब भी जाते हैं और अपनी जान गंवा देते हैं.

India Today की एक ख़बर के मुताबिक, कुछ दिनों पहले ही महाराष्ट्र में एक चीते का शव मिला था. चीते के पंजे काट दिए गए थे और उसके शरीर पर गोलियों का भी घाव था. इस घटना से पहले एक चीते ने महाराष्ट्र के चंद्रपुर ज़िले के रामदेगी जंगल में मेडिटेशन कर रहे एक बौद्ध भिक्षु की हत्या कर दी थी.

India Today

पिछले महीने, आम जनता के विरोध, सरकार के आदेश के बावजूद बाघिन अवनी की हत्या कर दी गई थी.

Mid Day

The New Indian Express की ख़बर के मुताबिक, शनिवार को काज़ीरंगा नेशनल पार्क में एक सींग वाले गेंडे का मृत देह बरामद किया गया. शिकारी उसे मारकर, उसका सींग लेकर भागे थे.

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