मां का दूध नवजात शिशु के लिये बेहद आवश्यक होता है. ये बात लगभग दुनिया के हर इंसान को पता है, लेकिन ब्रिटेन के साथ ऐसा नहीं था. कुछ समय पहले तक ब्रिटेन में स्तनपान को महत्व नहीं दिया जाता था, पर अब दिया जा रहा है और इसकी वजह हैं अन्नपूर्णा शुक्ला. अन्नपूर्णा शुक्ला एक सफ़ल रिसर्चर होने के साथ-साथ 2019 लोकसभा इलेक्शन में पीएम मोदी की चार प्रस्तावकों में से एक हैं.

क्या कहती है रिसर्च?

यही नहीं, अन्नपूर्णा द्वारा की शोध को ध्यान में रखते हुए ही WHO (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन) ने भी नवजात के लिए छह महीनों तक मां का दूध ज़रूरी बताया है. अन्नपूर्णा की रिसर्च 1969-72 में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुई थी. इसके साथ ही ये उनकी PHD का रिसर्च टॉपिक भी था. इस बारे में एक इंटरव्यू के दौरान अन्नपूर्णा ने बताया कि 1 वर्ष तक के जो बच्चे स्तनपान करने के बजाये, ठोस आहार ले रहे थे वो अधिक मोटे और वज़नदार थे. इसके साथ ही वो मां का दूध पीने वाले बच्चों की अपेक्षा कम एक्टिव भी थे.

कौन हैं अन्नपूर्णा शुक्ला?