भारत में हर साल कैंसर पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है. इससे उच्च और निम्न दोनों ही वर्ग प्रभावित हो रहे हैं. पिछले कुछ सालों से कैंसर भारत के लिए ये एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है.
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कैंसर जैसी महंगी बीमारी का इलाज करा पाना हर किसी के बस की बात नहीं. इसी को देखते हुए केंद्र सरकार ने एक अहम फ़ैसला लेते हुए कैंसर निरोधी 9 दवाओं के रिटेल प्राइस में 87 फ़ीसदी तक की कमी की है.
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सरकार ने शुक्रवार को जानकारी हुए कहा कि कैंसर के इलाज में काम आने वाली 9 महत्वपूर्ण दवाओं के अधिकतम खुदरा मूल्य में 87 फ़ीसदी तक की कमी की गयी है. इससे इन दवाओं का इस्तेमाल करने वाले मरीज़ों की सालाना 800 करोड़ रुपये की बचत होगी.
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कैंसर के इलाज में काम आने वाला इंजेक्शन Pemetrexed 500mg, जिसकी कीमत पहले 22000 रुपये थी, वो अब मात्र 2800 रुपये में मिल पायेगा. जबकि Pemetrexed 100mg, जिसकी कीमत पहले 7700 रुपये थी, उसके लिए अब मात्र 800 रुपये ही ख़र्च करने पड़ेंगे.
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कैंसर के इलाज में काम आने वाली 10 गोलियों वाले Erlotinib 100mg के एक स्ट्रिप की कीमत पहले 6600 रुपये हुआ करती थी, जो अब 1840 रुपये में मिल जाएगी. इसी तरह कैंसर निरोधी कई अन्य दवाईयों की क़ीमत में भी भारी गिरावट आयी है.
नेशनल फ़र्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने 27 फ़रवरी को 42 गैर-अनुसूचित कैंसर दवाओं को दवा मूल्य नियंत्रण व्यवस्था में शामिल किया था. इसके बाद इन दवाओं के ट्रेड मार्जन को 30 फ़ीसदी तक सीमित कर दिया गया है. जिस वजह से कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होनी वाली कुल 390 दवाओं की कीमत में 87 फ़ीसदी तक की कमी आयी है.
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नेशनल फ़र्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने सभी दवा कंपनियों और अस्पतालों को निर्देश दिए हैं कि वो जल्द से जल्द सभी दवाओं पर नए मूल्यों को लागू करें. नई कीमतें 8 मार्च से प्रभावी हो गई थीं.
दरअसल, विशेषज्ञों की समिति ने 42 कैंसर रोधी दवाओं का मूल्य नियंत्रण के दायरे में लाने की सिफ़ारिश की थी, जिसके बाद एनपीपीए ने ये कदम उठाया है.
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WHO के मुताबिक़, साल 2018 में दुनियाभर में कैंसर से मरने वाले की संख्या 9.6 मिलियन थी. जिसमें भारत की हिस्सेदारी 8.17 प्रतिशत है. ये बेहद डरवाने आंकड़े हैं.