एक भारतीय के तौर पर यह जानकर बड़ी ख़ुशी होती है कि हमारे लोग विश्व की बड़ी से बड़ी संस्था में कार्यरत हैं और भारत का नाम रोशन कर रहे हैं. Google जैसी कंपनी से लेकर NASA तक में हमारे लोग मौजूद हैं. वहीं, विश्व की इन बड़ी संस्थाओं में कार्यरत भारतीय जब कुछ अच्छा काम करते हैं, तो इससे भारत का सिर और गर्व से ऊंचा हो जाता है. इसी क्रम में हम आपको भारत की बेटी ‘वंदी वर्मा’ के बारे में बता रहे हैं, जो इन दिनों NASA के एक ख़ास प्रोग्राम के लिए काफ़ी चर्चा में हैं.
NASA के JPL में चीफ़ इंजीनियर
आपको बता दें कि ‘वंदी वर्मा’ NASA की दक्षिणी कैलिफ़ोर्निया स्थित JPL (Jet Propulsion Laboratory) में चीफ इंजीनियर हैं. वो नासा के पर्सिवियरेंस रोवर का संचालन कर रही हैं यानी रोवर को चला रही हैं. बता दें कि Perseverance Rover को इस साल के फ़रवरी महीने में जरीरो क्रेटर पर उतारा गया है. वंदी इससे पहले भी रोवर का संचालन कर चुकी हैं.
पंजाब की हैं वंदी
बता दें कि ‘वंदी वर्मा’ पंजाब के हलवाड़ा से संबंध रखती हैं. उनके पिता इंडियन आर्मी में पायलट थे. वंदी ने अमेरिका की Carnegie Mellon University से Robotics में पीएचडी की है. बता दें वो 2008 से मंगल ग्रह पर रोवर के संचालन का काम कर रही हैं. वंदी इससे पहले Spirit, Opportunity और Curiosity Rover चला चुकी हैं.
वंदी बनी हुई हैं चर्चा में
Perseverance Rover ने मंगल ग्रह पर उतरकर जरूरी काम की शुरुआत कर दी है, इसलिए ‘‘वंदी वर्मा’ चर्चा में बनी हुई हैं. वंदी की पूरी टीम इसके सही संचालन में लगी हुई है.
ख़ास खोज के लिए उतारा रोवर को
जानकारी के अनुसार, पर्सिवियरेंस रोवर जजीरो क्रेटर पर ख़ास चीज़ों की खोज करेगा. यह रोवर मंगल ग्रह की सतह और अंदर माइक्रोऑर्गेनिज़्म यानी सूक्ष्मजीवों के होने के सबूतों की तलाश करेगा. इसके बाद इस रोवर से और भी बहुत काम करवाए जाएंगे. जानकारी के लिए बता दें कि यह रोवर मंगल ग्रह की Carbon Dioxide का इस्तेमाल कर Oxygen बनाने का प्रयोग कर चुका है.
जजीरो क्रेटर बन चुका है वंदी का कार्यस्थल
बता दें यह जजीरो क्रेटर अरबों साल पहले तालाब हुआ करता था. इस क्रेटर के किनारे ही रोवर का मुख्य ठिकाना होगा. यह रोवर यहां नमूनों को जमा करेगा, फिर इन सैपल्स को नासा की लैब में पहुंचाया जाएगा, ताकि इसकी सही तरह से जांच की जा सके. बता दें यह नासा का 6 चक्कों वाला रॉबर्ट है. यह जजीरो क्रेटर Perseverance के साथ-साथ वंदी का भी कार्यस्थल बन चुका है .
स्वचालित नेविगेशन प्रणाली से लैस
बता दें नासा का 6 चक्कों वाला यह रॉबर्ट स्वचालित नेविगेशन प्रणाली से लैस है, जिसे AutoNav कहा जाता है. यह सफ़र के दौरान 3D मैप दिखाएगा, ताकि सामने आने वाली किसी भी चीज़ की पहचान सही से की जा सके. इस सिस्टम के ज़रिए रॉबर्ट ख़ुद आगे बढ़ने के लिए सक्षम है.
ख़ास 3D Glasses
धरती से मंगल पर उतरे रॉबर्ट को चलाना कोई आसान काम नहीं है. दरअसल, यह रॉबर्ट कोई जॉयस्टिक से नहीं चलता है. इसके लिए रोवर चालक को सेटेलाइट की मदद से ख़ास 3D Glasses का उपयोग कर इलाके की जांच करनी होती है. रास्ते के सही निर्धारण के बाद ही रोवर को आगे बढ़ने के निर्देश दिए जाते हैं. कुछ इस प्रकार रोवर अपना सफ़र तय करता है.