पिछले कुछ सालों से इंडियन रेलवे यात्रियों को हर मुमकिन सुविधाएं पहुंचाने के लिए लगातार कोशिश कर रहा है. इस कोशिश के बावजूद अब भी कुछ बुनियादी चीज़ें पीछे छूट जाती हैं, जिसकी वजह से रेलवे के सुधारों की यात्रा काफ़ी लम्बी नज़र आती है.
हाल ही में कंज्यूमर कोर्ट ने रेलवे को ऐसी ही बुनियादी उपलब्ध न करा पाने की वजह से कटघरे में खड़ा किया. ख़बरों के मुताबिक मिनिस्ट्री ऑफ़ लॉ एंड जस्टिस में डिप्टी लीगल एडवाइज़र के पद पर नियुक्त देव कांत अपने परिवार के साथ 2009 में अमृतसर से दिल्ली आ रहे थे.
इस दौरान जब वो लुधियाना पहुंचे, तो वहां लोगों की भीड़ इतनी बढ़ गई कि लोग फ़र्श पर बैठने को मजबूर थे. इससे वाशरूम का रास्ता भी ब्लॉक हो गया, जिसकी वजह से परिवार का कोई भी सदस्य 90 मिनट तक टॉयलेट का इस्तेमाल नहीं कर पाया. इससे देव कांत के परिवार को शारीरिक और मानसिक यातना से गुज़रना पड़ा.
बेशक इस मामले को 7 साल से ज़्यादा का वक़्त हो गया हो, पर कंज्यूमर कोर्ट ने इस मामले को संगीन माना है और रेलवे को फटकार लगाने के साथ ही देव कांत को 30 हज़ार रुपये मुआवज़े के रूप में देने का फ़ैसला सुनाया है.