मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री मोदी ने देश को एक ख़ास तोहफ़ा दिया है. आज ही उन्होंने देश के सबसे बड़े पुल का उद्घाटन किया है, जो असम और अरुणाचल प्रदेश को जोड़ेगा.

ब्रह्मपुत्र पर बने ढोला-सादिया पुल से दोनों राज्यों में आना-जाना आसान होगा, इस शानदार पुल की और भी कई ख़ासियतें हैं. इस पुल का नाम बदल कर, गायक भूपेन हज़ारिका के नाम पर रखा जायेगा. इस पुल से कारोबार को बढ़ावा मिलेगा और सेना को असम के पोस्ट से अरुणाचल-चीन बॉर्डर पर पहुंचने में आसानी होगी.

1962 की जंग के समय अरुणाचल सीमा के करीब सेना के हथियारों और दूसरे संसाधनों को पहुंचाने में काफ़ी दिक्कत हुई थी. ये पुल इतना मज़बूत बनाया गया है कि इस पुल के ऊपर से सेना के भारी-भरकम टैंक आसानी से गुज़र सकते हैं.

इस पुल के निर्माण में 2056 करोड़ रुपये की लागत आई है. इसके ज़रिए सादिया से ढोला तक सिर्फ़ 60 मिनट में पहुंचा जा सकता है. इसके अलावा, इस पुल के चालू होने से असम और अरुणाचल में पर्यटन और रोज़गार को भी बढ़ावा मिलेगा. सरकार दक्षिण पूर्व एशिया में व्यापार के क्षेत्र में असम को प्रमुख केन्द्र बनाना चाहती है और इसके लिए कई प्रयास कर रही है.

पुल के उद्घाटन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तिनसुकिया के लोगों को संबोधित किया. मोदी जी ने इस अवसर पर कहा कि पिछले पांच दशकों से लोग इस पुल का इंतज़ार कर रहे थे. पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास पर पिछले तीन साल के दौरान जितनी राशि खर्च की गयी है, उतनी 10-15 सालों में भी खर्च नहीं की गयी थी. राज्य सरकार के काम की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार साथ मिल कर विकास की ओर बढेंगी. उन्होंने ये भी कहा कि अगर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार दोबारा जीतकर सत्ता में आई होती, तो ये पुल 10 साल पहले बन चुका होता.

पुल असम की राजधानी दिसपुर से 540 किलोमीटर और अरुणाचल प्रदेश की राजधानी इटानगर से 300 किलोमीटर दूर है. चीनी सीमा से इसकी दूरी 100 किलोमीटर से भी कम है. ब्रह्मपुत्र नदी पर बना 9.15 किलोमीटर लंबा ये पुल, एशिया का दूसरा सबसे लंबा पुल है. यह मुंबई के बांद्रा वर्ली सी लिंक पुल से 3.55 किलोमीटर लंबा है. सीमेंट और सरिये से बना ये पुल चीन के खिलाफ़ भारत के लिए एक ढाल की तरह है.