लगातार चार बार देश के सबसे स्वच्छ शहर का ख़िताब जीत चुका है इंदौर. अब इसने वेस्ट मैनेजमेंट में भी महारथ हासिल कर ली है. यही नहीं, इसकी बदौलत यहां का नगर निगम सालाना 4 करोड़ रुपये भी कमा रहा है.

ये जानकारी केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत अभियान के लिए इंदौर नगर निगम के सलाहकार असद वारसी ने मीडिया से हाल ही में शेयर की है. उनका कहना है कि लगातार तीन बार स्वच्छ शहर का ख़िताब जीत चुका इंदौर चौथी बार भी इस तमगे को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध दिखाई दे रहा है.

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वारसी ने एक और जानकारी देते हुए बताया कि कूड़े-कचरे का बेहतर प्रबंधन कर शहर का नगर निगम सालाना 4 करोड़ रुपये भी कमा रहा है. उन्होंने बताया कि एक प्राइवेट कंपनी ने Public-Private Partnership (PPP) मॉडल के तहत सूखे कूड़े के प्रबंधन के कार्य के लिए 30 करोड़ रुपये निवेश किए हैं. उनकी मदद से नगर निगम अपने संयंत्र में रोज़ाना 300 टन सूखे कचरे का प्रबंधन कर रहा है. 

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4 एकड़ में बनाए गए इस प्लांट में रोबोटिक प्रणाली की मदद से सूखे कचरे को छांट कर अलग किया जाता है. इसके बाद उससे कांच, प्लास्टिक, धातू, काग़ज आदि को अलग किया जाता है. Indore Municipal Corporation (IMC) के इस प्लांट में कचरे की मदद से खाद और बायो सीएनजी बनाई जा रही है. इसके अलावा इसके वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में ईटें, टाइल्स और अन्य निर्माण सामग्री भी बनाई जा रही है. इनको बेचकर नगर निगम सालाना 2.5 करोड़ रुपये की कमाई कर रहा है.

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इंदौर नगर निगम ने इसमें कोई निवेश नहीं किया है, लेकिन उसके प्लांट के लिए उन्होंने ज़मीन आवंटित की है. इसके एवज में कंपनी उन्हें हर साल 1.51 करोड़ रुपये का प्रीमियम अदा करेगी. वारसी ने बताया कि सूखे कचरे को इकट्ठा करने का काम नगर निगम ने एक एनजीओ को दिया है. इसके पहले फ़ेज में एनजीओ ने 22000 टन कचरा इकट्ठा किया था. वो कचरे के एवज में लोगों को 2.5 रुपये प्रति किलो की राशि प्रदान करता है.

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कचरे के प्रबंधन की मिसाल कायम करने वाले इंदौर नगर निगम से देश के अन्य नगर निगमों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए. इसकी मदद से वो भी अपने शहर को सुंदर और स्वच्छ बनाने के साथ ही कमाई भी कर सकते हैं.

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